लेखक डॉ अरविन्द मिश्रा मनुष्य की अनेक प्रतिभाओं में एक है चमचागीरी/चापलूसी। वैसे तो इस क्षमता में दक्ष लोगों में यह प्रकृति प्रदत्त यानी जन्मजात है मगर कुछ लोग इस कला को सीखकर भी पारंगत हो लेते हैं। चारण और चमचागीरी में बारीक फर्क है।चारण एक पेशागत कार्य...
पोस्ट लेवल : "ब्लॉगर"

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पिछली लिखी कजली पर मिले प्यार से अभिभूत हूँ। उसे कविता कोष के लोकगीत में शामिल किया गया है। मुझसे कई मित्रों ने एक और कजली लिखने की फ़रमाईश की थी जिसे आज मैं पूरी कर रहा हूँ। प्रस्तुत कजली की धुन पूर्व से अलग है। आनंद लीजियेगा। +++सईयां जाई बसे हैं पुरुबी नगरिय...

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गुरुवार को ऑफिस में व्यस्त था...मोबाइल ऑफिस में मैं साइलेंट पर रखता हूं लेकिन आंखों के सामने ही रखता हूं ताकि पता चल जाए कि किसका है...वाइब्रेशन हुआ तो मोबाइल पर नज़र गई...महफूज़ अली का नाम फ्लैश हो रहा था...बात की तो दूसरी तरफ़ से हक़ वाले आदेश की आवाज़ आई...”भईया...

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टिप्पणी न आना कोई विशेष कारण नहीं लगता ब्लॉगì...

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हिंदी ब्लॉगिंग दिवस की शुभकामना जून 2017 में जब यह हिंदी ब्लागिंग के लिये जब यह ब्लॉग (हिंदी ब्लागरों ने ब्लॉग को चिठ्ठा नाम दिया है, जो कि अच्छा है) शुरू किया था तब नाम के ही कुछ हिन्दी ब्लॉग थे, पर हिन्दी चिठ्ठाकारी जारी रही और फली फूली भी पर फेसबुक के...

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हिन्दी ब्लॉगिंग को लेकर मेरे मन में ही नहीं बल्कि हर ब्लॉगर और ब्लॉग पाठक के मन में एक अजीब सा आकर्षण है. जब भी कोई ब्लॉगिंग की दुनिया में पदार्पण करता है, या ब्लॉगिंग से किसी का परिचय होता है तो वह इस अनोखी दुनिया में रम सा जाता है. ब्लॉगिंग का आकर्षण ही कुछ...

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ब्लॉगर्स से फेसबुकिया बनने पर कौन-कौन क्या-क्या बन गया। तांगे में या रेस के घोडे को एक ऐनक/Blinker पहनाई जाती है....ताकि वो केवल सामने ही देख सके। ऐसे ही सभी ने ब्लिंकर्स पहने हैं और केवल नाक की सीध में ही देखते हुये लिखे जा रहे हैं। ब्लॉग्स पर रिसर्च और मेहनत...

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जोहोर बहरू (मलेशिया ): वैश्विक स्तर पर ब्लॉगरों को एकजुट कर साहित्यिक, सांस्कृतिक और सामाजिक गतिविधियों को प्राणवायु देने के उद्देश्य से संस्थापित संस्था परिकल्पना के तत्वावधान में विगत 21 जून 2017 और 25 जून 2017 के बीच सिंगापुर और मलेशिया के जोहोर बहरू तथा कुवलाल...

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गिरिजा दी से इस बार फिर मुलाकात हुई बंगलौर में ,इस बार रश्मिप्रभा दी के घर हम मिले।ऋता शेखर भी साथ थी, गिरिजा दी और रश्मिप्रभा दी पहली बार एक -दूसरे से मिल रही थी, और फिर जो दिन भर बातों में बीता पता ही नहीं चला शाम के 6 बजे पहली बार घड़ी देखी और फिर देर हो गई,देर ह...

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नई सुबह की गर्मजोशी से स्वागत करने की हम भारतीयों में बहुत पुरानी परम्परा रही है। जितनें भी प्राचीन मनीषी,कवि और विचारक रहे वे भी समय-समय पर इस बिंदु पर जन मानस को आगाह भी करते रहे। आर्ष कवि कालिदास और भारत में द्वितीय नगरीकरण के जनक भगवान गौतम बुद्ध जी को भी इ...