हर्ष वर्धन त्रिपाठीपिताजी का घर-परिवार-गांव-समाज से अद्भुत लगाव रहा। लगाव ऐसा रहता था कि, लगकर रिश्ता निभाते थे। हमें भी अलग से ज्ञान दिए बिना रिश्ता निभाने, बनाने की अद्भुत सीख दे गए हैं। घर-परिवार-गांव-रिश्तेदार के साथ हमारी मित्र मंडली भी घर जैसी ही है। आज देश औ...
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हर्ष वर्धन त्रिपाठीहमें किसी भी बात से भय नहीं होता है। किसी व्यक्ति से भय नहीं होता है। कोई घटना हमें भयभीत नहीं करती है। काफ़ी हद तक यही सच है, लेकिन ऐसा क्या है मेरे भीतर कि, मुझे कुछ भी डराता नहीं। जीवन में हमेशा निडर रहता हूँ तो इसकी सबसे बड़ी वजह हमारे पिताजी...

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हर्ष वर्धन त्रिपाठी#पिताजी के साथ मौज का यह आखिरी चित्र है। उनके साथ इस तरह से मौज करने की हमारी इच्छा अधूरी ही रह गई। हालांकि, उन्होंने अपने मन का सब काम हमसे करा लिया। सीधे किए तो सीधे, वरना उन्होंने उंगली टेढ़ी करने में भी देरी नहीं लगाई। अपने मन का सब किया। कई...

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सुबह सुबह संदीप का फोन आया. कल रात उसके पिता जी को दिल का दौरा पड़ा है. अभी हालात नियंत्रण में है और दोपहर १२.३० बजे उन्हें बम्बई ले जा रहे हैं. वैसे तो सब इन्तजाम हो गया है मगर यदि २० हजार अलग से खाली हों तो ले आना. क्या पता कितने की जरुरत पड़ जाये? निश्चिंतता...

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आज फिर लिखने के लिए एक विषय की तलाश थी और विषय था कि मिलता ही न था, तब विचार आया कि इसी तलाश पर कुछ लिखा जाये. वैसे भी अगर आपको लिखने का शौक हो जाये तो दिमाग हर वक्त खोजता रहता है-कि अब किस विषय पर लिखा जाये? उठते-बैठेते, सोते जागते, खाते-पीते हर समय बस यही त...

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डेश बोर्ड, रिपोर्ट कार्ड, पॉवर पाईन्ट डेक, स्कोर कार्ड की तरह ही न जाने कितने नाम हैं, जो कारपोरेट वर्ल्ड से निकल कर पॉवरफुल सरकारी दुनिया में राजनिति चमकाने के लिए आ गये. इनको बनाना, इनको दिखाना, इनके बारे में बताना ही अपने आप में इतना भव्य हो गया कि जिन काम...

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अस्पतालों में ऑक्सीजन की भीषण कमी हो गई। हाहाकार मचा। जिसको जो समझ में आ रहा था वो उस पर तोहमत लगा रहा था। दोषारोपण हेतु लोगों को खोजा जा रहा था। कई दशकों पहले परलोक सिधार चुके लोग भी चपेट में आ रहे थे। जानवरों के डॉक्टर तक व्हाटसएप पर फेफड़ों में ऑक्सीजन की क...

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बहुत दिनों से परेशान था कि आखिर अपना नया उपन्यास किस विषय पर लिखूँ और उसको कौन सा फड़फड़ाता हुआ शीर्षक दूँ. उपन्यास लिखने वाले दो तरह के होते हैं, एक तो वो जो विषय का चुनाव कर के पूरा उपन्यास लिख मारते हैं और फिर उसे शीर्षक देते हैं और दूसरे वो जो पहले शीर्षक च...

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मांसाहारी को यह सुविधा रहती है कि मांसाहार न उपलब्ध होने की दशा में वो शाकाहार से अपना पेट भर ले. उसे भूखा नहीं रहना पडता. जबकि इसके विपरीत एक शाकाहारी को, शाकाहार न उपलब्ध होने की दशा में कोई विकल्प नहीं बचता. वो भूखा पड़ा मांसाहारियों को जश्न मनाता देख कुढ़ता...

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प्रकृति प्रद्दत मौसमों से बचने के उपाय खोज लिये गये हैं. सर्दी में स्वेटर, कंबल, अलाव, हीटर तो गर्मी में पंखा, कूलर ,एसी, पहाड़ों की सैर. वहीं बरसात में रेन कोट और छतरी. सब सक्षमताओं का कमाल है कि आप कितना बच पाते हैं और मात्र बचना ही नहीं, सक्षमतायें तो इन मौ...