ब्लॉगसेतु

Ravindra Prabhat
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लखनऊ (25 अगस्त) :  हिन्दी भाषा की विविधता, सौन्दर्य, डिजिटल और अंतराष्ट्रीय स्वरुप को विगत 14 वर्षों से वैश्विक मंच पर प्रतिष्ठापित करती आ रही लखनऊ की संस्था परिकल्पना के 13वीं वार्षिक महासभा में बतौर मुख्य अतिथि पहुंचे लखनऊ परिक्षेत्र के निदेशक डाक सेवाएँ श्र...
Ravindra Prabhat
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साहित्य और  ब्लॉगिंग के बीच सेतु निर्माण करने वाली भारत  की प्रमुख  संस्था परिकल्पना तथा लखनऊ से प्रकाशित  होने वाली मासिक पत्रिका परिकल्पना समय द्वारा प्रतिवर्ष आयोजित किया जाने वाला अन्तर्राष्ट्रीय ब्लॉगर सम्मेलन 16 से 21 जनवरी 2016 के बीच थाई...
Ravindra Prabhat
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ब्लॉगरों को रचनात्मक मंच प्रदान करने के उद्देश्य से विगत पांच वर्षों से कार्यरत लखनऊ की प्रमुख सामाजिक-सांस्कृतिक और साहित्यिक संस्था परिकल्पना द्वारा विगत दिनों आयोजित पांच दिवसीय पंचम अंतर्राष्ट्रीय ब्लॉगर सम्मलेन एवं परिकल्पना सम्मान समारोह श्रीलंका की राजधानी क...
S.M. MAsoom
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कुत्ता उन गिने चुने जानवरो में एक है जो इन्सानी सभ्यता के सब से क़रीब रहा और रूखी सुखी खा के भी अपने मालिक के लिए वफादारी के लिए मिसाल पेश करता रहा। हिंदी फिल्मो में इसका इस्तेमाल विलेन को गाली देने के काम में आता रहा मगर यह भी सच है की कुत्ते का विकास मानव सभ्यता क...
शिवम् मिश्रा
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Ravindra Prabhat
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विगत वर्ष वर्धा में हुई दो दिवसीय हिंदी ब्लॉगिंग को केंद्र में रखकर आयोजित संगोष्ठी की यादें ताज़ा हो गयी कल्याण में दिनांक ९-१० दिसंबर को आयोजित हिंदी ब्लोगिंग संगोष्ठी में. इसे महज संयोग ही कहा जा सकता है कि वर्धा संगोष्ठी के संयोजक सिद्दार्थ शंकर त्रिपाठी जी बाल...
राजीव तनेजा
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दोस्तों…जैसा कि इस कहानी के पिछले भाग में आपने पढ़ा कि कैसे ‘दुबे’ नाम का एक अनजाना शख्स मुझे चने के झाड पे चढाते हुए मेरी कहानी पर फिल्म बनाने का ऑफर देता है और कई दिलचस्प मोड़ों के बाद  बदलते घटनाक्रम के दौरान वो मेरी किताब भी छपवाने का वा...
राजीव तनेजा
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नोट: दोस्तों….हाल ही में हिन्दी ब्लॉगजगत में घटित एक सच्ची घटना एवं कल्पना का ये समिश्रण आपको कैसा लगा?…ज़रूर बताएँ “हैलो….तनेजा जी?”… “हाँ!…जी बोल रहा हूँ…आप कौन?”… “मैं दुबे…जौनपुर से"… “जी!…दुबे जी…कहिये…क्या खिदमत कर सकता हूँ मैं आप...
राजीव तनेजा
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समझ में नहीं आ रहा मुझे कि आखिर!…हो क्या गया है हमारे देश को…इसकी भोली-भाली जनता को?…. कभी जनता के जनार्दन को सरेआम जूता दिखा दिया जाता है तो कभी जूता दिखाने वाले को दिग्गी द्वारा भरी भीड़ में बेदर्दी से लतिया दिया जाता है…पीट दिया जाता है…आखिर!..ये होता क्या जा र...
yogendra pal3
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