भिखारी ठाकुर भोजपुरी के उस व्यक्तित्व का नाम है, जिसने भोजपुरी भाषा को उस जमाने में भी मंच की भाषा बनने का गौरव प्रदान किया, जिस जमाने में गांव में भी साधारण पढ़-लिखे लोग भी, जब रास्ते में, बाजार में, या अपने दरवाजे या दालान बात करने में शर्म महसूस करते थे। इसे अनप...
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एक भिखारी सुबह-सुबह भीख मांगने निकला। चलते समय उसने अपनी झोली में जौ के मुट्ठी भर दाने डाल लिए। टोटके या अंधविश्वास के कारण भिक्षाटन के लिए निकलते समय भिखारी अपनी झोली खाली नहीं रखते। थैली देख कर दूसरों को लगता है कि इसे पहले से किसी ने दे रखा है। पूर्णिमा का दिन थ...

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सिरि गनेस महादेव भवानी, रामा हो रामा।रामा,सीस नवावत बानी ,रामा हो रामा। समाजी मंगलाचरण शुरू करते है और भिखारी ठाकुर का नाटक 'गबरघिचोरन की माई 'नाटक शुरू हो जाता है."सिरी गिनेस पद सीस नवाऊॅ। गबरघिचोरन के गुन गाऊँ ।।बहरा से गलीज घर अइलन। मुदित भइल ना...

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एक बड़े मुल्क के राष्ट्रपति के बेडरूम की खिड़की सड़क की ओर खुलती थी। रोज़ाना हज़ारों आदमी और वाहन उस सड़क से गुज़रते थे। राष्ट्रपति इस बहाने जनता की परेशानी और दुःख-दर्द को निकट से जान लेते।राष्ट्रपति ने एक सुबह खिड़की का परदा हटाया। भयंकर सर्दी। आसमान से गिरते रुई के फाहे...

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भिखारी ठाकुर का रंगकर्म भोजपुरी लोकजीवन की विविध पक्षों का साहित्य है और उनका नाट्य भोजपुरी लोकजीवन की सांस्कृतिक पहचान. उनके रचनाओं और रंगकर्म में एक पूरी सामाजिक परंपरा और इतिहास के दर्शन होते हैं. किन्...

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प्रस्तुति चरमोत्कर्ष पर है, कलाकृतियों का एक आवरण हटता है और मंच पर लौंडे जादूई तरीके से प्रकट होते हैं. वे पारंपरिक शैली में समूह बनाकर लौंडा नाच की सिग्नेचर नृत्य गतियों के साथ मंच को उर्जस्वित कर देते हैं, दर्शक ठमक जाते हैं, कुछ दर्शक जो पहले भी नाटक देख...

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आज मंगलवार बजरंगबली का दिन !! स्थापित सिंदूरी हनुमान दे रहे मुस्कान भव्य मंदिर में थे स्थापित आज पुजारी भी था परेशानआखिर कर रहा था लगातार.. लड्डुओं का आदान-प्रदान भक्त.. दर्शनार्थी.. पंक्तिबद्ध चढ़ रहा था चढ़ावा लड्डू मोती...