ब्लॉगसेतु

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BHRAMAR KA DARD AUR DARPAN: उठा पटक बस टांग खींच ले: तुमने सोचा उड़ लेता हूं ऊंचे ऊंचे हूं आकाश मेंr ऊंचे उड़ते बहुत जीव हैं सगे संबंधी हूं प्रकाश में ...... नही जानते कुछ ऐसे भी घात लगाए...
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हिंसा का औचित्य कहां अबसन्मुख बैठो बात करोउठा तिरंगा शांति दूत बनपीछे ना आघात करो.....राज तंत्र से मन खट्टा जोन्याय तंत्र विश्वास करोकाले गोरे नहीं लड़ाईअपने सब तुम ध्यान रखो........कट्टरता आतंक है खांईखोल आंख पहचान करोतेरा मेरा घर ना भाईकाल अग्नि सम ध्यान धरो........
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मै रोज तकूं उस पारहे प्रियतम कहां गएछोड़ हमारा हाथअरे तुम सात समुंदर पारनैन में चलते हैं चलचित्रछोड़ याराना प्यारे मित्रन जाने कहां गए......एकाकी जीवन अब मेरासूखी जैसी रेतभरा अथाह नीर नैनों मेंबंजर जैसे खेतवो हसीन पल सपने सारेमौन जिऊं गिन दिन में तारेन जाने कहां गए...
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दो फाड़ हो चुके....................चूहों की चौपाल मेंघमासान जारी हैदो फाड़ हो चुकेफिर भी ये टुकड़ाअभी बहुत भारी है....तीन चूहेएक रोटीसामर्थ्य नहींनोच दो फाड़ दोउछल कूद जारी है...उधेड़बुन, कशमकशएक कोने से दूजे कोनेदौड़ भाग केंद्र तक जारी है...मन नहीं है बांटने काअनम...
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कोरोना के काल को, झूंठलाए जो लोग।खुद शिकार वो हो गए , और बढ़ाए रोग।।दो गज दस मीटर बना, मास्क बना अनिवार्य,आफिस घर बाहर सभी,पहन करो सब कार्य।।अगर भीड़ हो, संशय कुछ हो,कहीं संक्रमित, टहल गया हो,शरमाओ ना मास्क,पहन लो,गली मोहल्ला, अपना घर हो।।गले मि लो न...
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*****************कोठी अटारी पे आए कागानथुनी बेसर छू छू भागेचांद चकोर से मन जो लागाप्राण पखेरू न उड़ मिल जाए******************सुरेन्द्र कुमार शुक्ल भ्रमर5प्रतापगढ़ , उत्तर प्रदेश,भारतसर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः
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*****************कोरोना है डरा रहा, चुन चुन करे शिकारआंख बन्द माने नहीं , शामिल हुए हजार।***************कोरोना से मत डरो, अपनाओ सब ढालहृष्ट पुष्ट ताकत रखो,कर लो प्राणायाम,*************काढ़ा भाप गर्म पानी लो,घर में करो आराम,मास्क सैनिटाइजर ना भूलो,बाह...
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संगिनी हूं संग चलूंगी------------------------जब सींचोगेपलूं बढूंगीखुश हूंगी मैतभी खिलूंगीबांटूंगी अधरों मुस्कानमै तेरी पहचान बनकर********वेदनाएं भी हरुंगीजीत निश्चित मै करूंगीकीर्ति पताकामै फहरूंगीमै तेरी पहचान बनकर*********अभिलाषाएं पूर्ण होंगी...
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चंदा मामा कल ना आनामम्मी जी की थाली मेंपुए भी मीठे नहीं बनानादूध न देना प्याली में---------------------बोला हूं मम्मी को अपनीमुझे झिंगोला एक सिलाओऊंची सी बनवा दो सीढ़ी' मामा ' से चल मुझे मिलाओ--------------------------नहीं तो चिड़ियों से मिल करकेपवन पुत्र सा मै आऊं...
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***************कितना ठौर ठिकाना बदलेहे चंदा तू नित आकाशसाजन का मुख तो दिखला देचैन से सो लूं जी इस रात*******************सुरेन्द्र कुमार शुक्ल भ्रमर 5सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः