ब्लॉगसेतु

Pratibha Kushwaha
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‘समुद्र से यदि टकराना है, तो तुमयह भूल जाओं कि तुम कौन हो। समुद्र यह नहीं देखता कि तुम महिला हो या पुरुष।’ अपने प्रशिक्षक दिलीप डोंडे की इसबात को मूलमंत्र बनाकर समुद्र की अथाह गहराइयों में जब महिला नेवी की जांबाज अधिकारी उतरी होंगी, तो उनकेमन में इस महत्वपूर्ण यात्...
रवीन्द्र  सिंह  यादव
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आओ!मनगढ़ंत, मनपसन्द, मन-मुआफ़िक, मन-मर्ज़ी का इतिहास पढ़ें, अज्ञानता का विराट मनभावन आनंदलोक गढ़ें। आओ! बदल डालें सब इमारतों,गलियों,शहरों, सड़कों, संस्थानों के नाम, लिख दें बस अपने-अपनों के नाम। आओ! बदल डालें कु...
sanjiv verma salil
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ओशो चिंतन: दोहा मंथन २ * जो दूसरों के दोष पर ध्यान देता है वह अपने दोषों के प्रति अंधा हो जाता है। दो औरों के दोष पर, देता पल-पल ध्यान। दिखें स्वदोष उसे नहीं, जानें अंध समान।।ध्यान तुम या तो अपने दोषों की तरफ दे सकते हो, या दूसरों के दोषों की तर...
sanjiv verma salil
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ओशो चिंतन: दोहा मंथन १. लाओत्से ने कहा है, भोजन में लो स्वाद।सुन्दर सी पोशाक में, हो घर में आबाद।।   रीति का मजा खूब लो *लाओत्से ने बताया, नहीं सरलता व्यर्थ। रस बिन भोजन का नहीं, सत्य समझ कुछ अर्थ।।  रस न लिया; रस-वासना, अस्वाभावि...
Rajendra kumar Singh
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हमारी ज्यादा रूचि सिर्फ दूसरों को जानने और अपनी जान पहचान बढ़ाने में ही रहती है, खुद अपने को जानने में नहीं रहती। हमारी यह भी कोशिश रहती है कि अधिक से अधिक लोग हमें जानें, हम लोकप्रिय हों पर यह कोशिश हम जरा भी नहीं करते कि हम खुद के बारे में जानें कि हम क्या हैं, क्...
डा.राजेंद्र तेला निरंतर
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आत्म मंथन ठहरे जल को गंदगी दूषित कर सड़ने लगती बहती नदी में गंदगी मंझधार से हट कर किनारों पर चली जाती जल को दूषित होने सेबचाती निरंतर आत्म मंथन सेमन की गंदगी भीकिनारे पर चली जाती सोच को स्वच्छ आचार व्यवहार को मधुर बनाती डा.राजेंद्र तेला,निरंतरसोच,आत्ममंथन,जीवन, आचार...
सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठी
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(बह्‍र : फाइलुन फाइलुन फाइलुन फ‍अ) फासले बढ़ रहे जिंदगी में दूरियाँ हो गयीं आदमी में चल पड़े हैं कहीं से कहीं हम  ज़ानेजाँ बस तिरी आशिक़ी में इश...
सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठी
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तरही नशिस्त में उस्ताद जी ने चुनौती दी रुबाई कहने की। शायरी में रुबाई छंद कठिन माना जाता है। इसमें बीस-बीस मात्राओं की चार लाइनें कहनी होती हैं जिनकी पहली, दूसरी और चौथी लाइन की तुक (काफिया) समान होता है। सभी लाइ्नों में मात्राओं का क्रम (बह्‍र) एक समान रखना होता ह...
सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठी
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उस्ताद ने इस बार जब मिसरा दिया था तो मैं उपस्थित नहीं था। किसी और ने जब फोन पर बताकर नोट कराया तो इसकी बहर गलत समझ ली गयी और पूरी ग़जल गलत बहर में कह दी गयी। बाद में ऐन वक्त पर नशिस्त से पहले गलती का पता चला तो काट-छांट करके और कुछ मलहम पट्टी लगाकर शेर खड़े किये गये...
सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठी
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मीडिया के लिए मोदी की चाय पार्टी से सोशल मीडिया में जो हलचल मची है वह प्याले में तूफान की उक्ति चरितार्थ करती है। प्रिन्ट व इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की प्रायः सभी बड़ी हस्तियाँ जो देश की राजधानी में कार्यरत हैं उन्हें नरेन्द्र मोदी ने आदर सहित बुलाया, दीपावली की शुभकामना...