शारदा वंदनमाँ शारदे! स्वर-सार देलय-भाव-रस उपहार देसुत को यही वरदान देरच छंद तुझ पर वार देभटका न लेकिन पा सकामाँ! कर दया; अब सार देमोती न हीरे चाहिएआशीष का गलहार देकुछ और चाहे हो नहींरचनाओं में भर प्यार दे१३-३-२०२० http://divyanarmada.blogspot.in/