इन दिनों बिटिया रानी के टेस्ट चल रहे हैं. पढ़ाई की तरह टेस्ट भी ऑनलाइन हो रहे हैं. इससे पहले छमाही परीक्षा भी ऑनलाइन ही हुई थी. वैसे यदि ऑनलाइन न कह कर उस परीक्षा और इस टेस्ट को वर्क फ्रॉम होम जैसी स्थिति कहें तो ज्यादा अच्छा होगा. ऐसा इसलिए क्योंकि इन दोनों परीक्षा...
पोस्ट लेवल : "मानसिकता"

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समय का गुजरना सिर्फ गुजरना ही नहीं होता है बल्कि उसके साथ बहुत कुछ भी गुजर जाता है. गुजरता हुआ समय अपने गुजरने का एहसास कराता हुआ बहुत खालीपन छोड़ जाता है. इस खालीपन के साथ बहुत सारी बातें याद रह जाती हैं और बहुत सी बातें हमेशा को जुड़ी रह जाती हैं. इस समय ने ही संबं...

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सामाजिकता का ताना-बाना वर्तमान में किस कदर उलझ गया है, इस बात की कल्पना कर पाना भी कई बार सम्भव सा नहीं लगता है. जीवन की आपाधापी में, मूलभूत आवश्यकताओं को पूरा करने की जद्दोजहद में इंसान रिश्तों की कदर करना भूलता सा जा रहा है. रिश्तों का आपसी साहचर्य भी उसके लिए वि...

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आज कुछ लिखने का मन नहीं हो रहा था किन्तु कल से ही दिमाग में, दिल में ऐसी उथल-पुथल मची हुई थी, जिसका निदान सिर्फ लिखने से ही हो सकता है. असल में अब डायरी लिखना बहुत लम्बे समय से बंद कर दिया है. बचपन में बाबा जी द्वारा ये आदत डाली गई थी, जो समय के साथ परिपक्व होती रह...

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पुराना गया और नया आ गया। इस नये के आने पर जो खुशी चेहरे पर दिख रही थी वह आज चौथे दिन ही गायब है। ऐसा क्यों? वैसे खुशी इन चार दिनों में ही गायब नहीं हुई बल्कि वह तो बहुत दिनों से गायब है। सही है न? अब विचार करिए पीछे गुजार चुके दिनों को और खुद देखिए कि जीवन के पल को...

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वर्ष 2020 क्या हम लोगों को याद रहेगा? ये सवाल इसलिए क्योंकि विगत कुछ दिनों से सोशल मीडिया में, मीडिया में, आपसी बातचीत में इसी साल की चर्चा हो रही है. सभी लोग कामना कर रहे हैं कि ये बुरा साल (उनके हिसाब से) बीते और नया अच्छा साल आये. कुछ लोगों का कहना है कि यह वर्ष...

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किसी-किसी बात को लेकर, किसी-किसी बिन्दु को लेकर लोगों में एक तरह की भेड़चाल देखने को मिलती है। इधर नया साल आने को होता है वैसे ही ये दिखाई देने लगती है। सोशल मीडिया के बहुत से मंचों पर दिन भर इसी तरह की जुगाली होने लगती है। हिन्दी, हिन्दू, हिन्दुस्तान को मानने, स्व...

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इस वर्ष, 2020 का आज अंतिम दूसरा दिन, सेकेण्ड लास्ट डे है. पिछले कई दिनों से बहुत से मित्रों, परिचितों के सन्देश मिल रहे हैं जिसमें इस साल के बारे में उनके विचार पढ़ने को मिल रहे हैं. ये इंसानी फितरत होती है कि इन्सान अपने मनोभावों को तत्कालीन सन्दर्भों से जोड़कर व्यक...

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आए दिन रिश्तों की बदलती परिभाषा देखने को मिलती है। अचानक से सम्बन्धों की प्रगाढ़ता में नकारात्मक परिवर्तन उत्पन्न हो जाते हैं। रिश्तों, सम्बन्धों की ऐसी प्रगाढ़ता के अचानक से समाप्त होने के पीछे की स्थिति का आकलन लोग करने के बजाय सम्बन्धों, रिश्तों को तोड़ने में ज्या...

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दिल वाकई बच्चा ही होता है. यह किसी फिल्म का डायलाग मात्र नहीं कि दिल तो बच्चा है बल्कि इसे बहुत से लोगों ने अपने जीवन में इस फ़िल्मी डायलाग के पहले भी महसूस किया होगा, इस पंक्ति को कई बार बोला भी होगा. ये भी नहीं कह सकते कि ऐसा सबके साथ होता होगा क्योंकि बहुतेरे लोग...