मौन भी मुखरितसाथ रहे जब राधा और श्यामकंगन बिछुआ, पायल छनके संग मुरली के तानमगन प्रेम में बिसराये कब भोर से हो गयी साँझनैन की आँख-मिचौली में क्या बतियाने का कामपात कदंब के ले हिलकोरे जमना बैठी लहरे थाम हवा राग...
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मौन भी मुखरितसाथ रहे जब राधा और श्यामकंगन बिछुआ, पायल छनके संग मुरली के तानमगन प्रेम में बिसराये कब भोर से हो गयी साँझनैन की आँख-मिचौली में क्या बतियाने का कामपात कदंब के ले हिलकोरे जमना बैठी लहरे थाम हवा राग...