बचपन के वे दिन याद आ गए जबकि हम तीनों भाइयों में तुम ही सबसे चंचल, सबसे शैतान थे। शैतानी के साथ तुम्हारी मासूमियत सबको हँसा देती थी। घर के लोग तुम्हारी शैतानी भूल जाया करते थे। तुम्हारी चंचलता तुमसे शैतानियाँ करवाती रहती। किस-किस को याद करें, कितना याद करें। अब बचप...
पोस्ट लेवल : "यादें"

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इंसान कितनी भी कोशिश कर ले वह अपने अतीत से मुक्त नहीं हो पाता है. अतीत की घटनाएँ यदि सुखद हैं तो वह उन्हें याद कर-कर के खुश होता रहता है और यदि घटनाएँ दुखी करने वाली होती हैं तो वह व्यथित हो जाता है. मन बहुत बार बिना किसी प्रयास के अतीत की सैर कर आता है और कई बार क...

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किसी से पहचान होना, किसी से कोई रिश्ता बन जाना, किसी से सम्बन्ध हो जाना, किसी से दोस्ती होना, किसी से सामान्य सा व्यवहार रखना आदि ऐसा लगता है जैसे अपने हाथ में नहीं वरन पूर्व निर्धारित होता है. कोई अकारण ही मन को, दिल को पसंद आने लगता है. कभी ऐसा होता है कि किसी व्...

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वर्ष 2020 क्या हम लोगों को याद रहेगा? ये सवाल इसलिए क्योंकि विगत कुछ दिनों से सोशल मीडिया में, मीडिया में, आपसी बातचीत में इसी साल की चर्चा हो रही है. सभी लोग कामना कर रहे हैं कि ये बुरा साल (उनके हिसाब से) बीते और नया अच्छा साल आये. कुछ लोगों का कहना है कि यह वर्ष...

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जीवन में कुछ घटनाएँ ऐसी होती हैं जो बिना याद किये याद आती रहती हैं, चाहते हुए भी भूली नहीं जाती हैं. ऐसी स्थिति के लिए घटनाओं के साथ-साथ उनसे जुड़ी तारीख भी महत्त्वपूर्ण होती है. घटनाओं को भुलाना भी चाहो तो उससे जुड़ी तारीख उस घटना को भूलने नहीं देती है. ऐसी ही तारीख...

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उस दौर में जबकि जीवनशैली एकदम सामान्य थी, न बहुत तामझाम, न बहुत चमक-धमक, न बहुत शोर-शराबा, उस समय कोई भी नई चीज अजूबा सी दिखाई पड़ती थी. आप लोगों से इस बारे में एक बार कायनेटिक होंडा स्कूटर के बारे में अपना मजेदार अनुभव शेयर कर ही चुके हैं. उस समय बचपना भी था जो आज...

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हमारा और कलम का जैसे पिछले जन्मों का सम्बन्ध है. बचपन से अभी तक साथ बना हुआ है. फाउंटेन पेन किसी भी तरह के हों, सस्ते हों या मँहगे, प्लास्टिक के हों या धातु के, फाउंटेन पेन हों या बॉल पेन सभी हमें बहुत पसंद हैं. किसी नए शहर में जाना होता है तो वहाँ का प्रसिद्द सामा...

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जब-जब भी मैं तेरे पास आयातू अक्सर मिली मुझे छत के एक कोने मेंचटाई या फिर कुर्सी में बैठीबडे़ आराम से हुक्का गुड़गुड़ाते हुएतेरे हुक्के की गुड़गुड़ाहट सुन मैं दबे पांव सीढ़ियां चढ़कर तुझे चौंकाने तेरे पास पहुंचना चाहताउससे पहले ही तू उल्टा मुझे छक्का...

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अपने इस ब्लॉग पर जब लिखना शुरू किया था तो समझ ही नहीं आता था कि इस पर सभी विषयों में लिखना है या फिर किसी विषय विशेष पर ही यहाँ लिखें? समय के साथ ब्लॉग लेखन होता रहा, यहाँ कई-कई विषयों पर लिखना होता रहा. ऐसे विषयों में सामाजिक और राजनैतिक विषय ज्यादा रहे. राजनीति ए...

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बचपन के उन दिनों में समझ न थी कि डायरी लेखन क्या होता है? डायरी लिखने के नाम पर क्या लिखा जाता है? शैतानी, मस्ती, मासूमियत भरे उन दिनों में बाबा जी ने हम भाइयों को एक दिन डायरी देते हुए डायरी लेखन को प्रोत्साहित किया. पहले तो कुछ समझ ही नहीं आया कि क्या लिखना होगा...