समीक्षा 'काल है संक्रांति का'' एक काव्य-समीक्षा -राकेश खंडेलवाल--------------------------------------------------------------- [पुस्तक परिचय - काल है संक्रांति का, गीत-नवगीत संग्रह, कवि आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल', प्रकाशक- समन्वय प्रकाशन अभियान, २०४ व...
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रेणुरंग: फणीश्वरनाथ रेणु की जन्मशती पर 10 चर्चित कहानियों का पुनर्पाठ. शब्दांकन और मैला आँचल ग्रुप की प्रस्तुति.पंचलाइटजाति का अंधेरा और हुनर की रोशनी — राकेश बिहारी ‘पंचलैट’ यानी ‘पंचलाइट’ यानी ‘पेट्रोमैक्स’! नहीं मालूम कि बाज़ार की जगर-मगर कौंध...

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रचना -प्रति रचनाराकेश खडेलवाल - संजीव***गीतकोई सन्दर्भ तो था नहीं जोड़ता, रतजगे पर सभी याद आते रहे*नैन के गांव से नींद को ले गई रात जब भी उतर आई अंगनाई मेंचिह्न हम परिचयों के रहे ढूँढते थरथराती हुई एक परछाईं मेंदृष्टि के व्योम पर आ के उभरे थे जो, थे अधूरे सभी बिम्ब...

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रचना-प्रतिरचनाराकेश खण्डेलवाल-संजीव*अचल रहे संकल्प, विकल्पों पर विचार का समय नहीं हैहुई व्यवस्था ही प्रधान, जो करे व्यवस्था अभय नहीं हैअभय दान जो मांगा करते उन हाथों में शक्ति नहीं हैपाना है अधिकार अगर तो कमर बांध कर लड़ना होगाकौन व्यवस्था का अनुयायी? केवल हम हैं या...

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रचना-प्रति रचनाराकेश खण्डेलवाल-संजीव सलिलदिन सप्ताह महीने बीतेघिरे हुए प्रश्नों में जीतेअपने बिम्बों में अब खुद मैंप्रश्न चिन्ह जैसा दिखता हूँअब मैं गीत नहीं लिखता हूँभावों की छलके गागरिया, पर न भरे शब्दों की आँजुरहोता नहीं अधर छूने को सरगम का कोई सुर आतुरछन्दों की...

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कार्यशाला:रचना-प्रतिरचना राकेश खंडेलवाल-संजीव*गीतसंस्कार तो बंदी लोक कथाओं मेंरिश्ते-नातों का निभना लाचारी है*जन्मदिनों से वर्षगांठ तक सब उत्सववाट्सएप की एक पंक्ति में निपट गयेतीज और त्योहार, अमावस पूनम भीएक शब्द "हैप्पी" में जाकर सिमट गयेसुनता कोई नही, लगी है सीडी...

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नॉटनल डॉट कॉम (notnul.com) एक तरह का नवोन्मेष है जहाँ इसके कर्ता-धर्ता नीलाभ श्रीवास्तव हिन्दी की महत्त्वपूर्ण पत्रिकाओं के साथ किताबें भी सॉफ्ट वर्ज़न में ला रहे हैं और बेहद कम दामों में युवा पीढ़ी को उनके मोबाइल्स और लैपटॉप पर हिन्दी का श्रेष्ठ साहित्य उपलब्ध करा र...

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रचना-प्रतिरचना राकेश खण्डेलवाल-संजीव *अचल रहे संकल्प, विकल्पों पर विचार का समय नहीं है हुई व्यवस्था ही प्रधान, जो करे व्यवस्था अभय नहीं हैअभय दान जो मांगा करते उन हाथों में शक्ति नहीं हैपाना है अधिकार अगर तो कमर बांध कर लड़ना होगाकौन व्यवस्था का अनुया...

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पिछले दिनों एक साहित्यिक जमावड़े में आज के लेखकों के आचार-व्यवहार पर चर्चा हो रही थी। बहस इस बात पर हो रही थी कि साहित्य में निंदा-रस का कितना स्थान होना चाहिए। साहित्यकारों के बीच होनेवाले गॉसिप से लेकर एक दूसरे को नीचा दिखाने की बढ़ती प्रवृत्ति पर भी चर्चा होने ल...

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आज २ अप्रैल है ... आज ही के ऐतिहासिक दिन सन १९८४ में भारत के प्रथम अंतरिक्ष यात्री राकेश शर्मा ने सोवियत अंतरिक्ष यान में सवार हो पृथ्वी का चक्कर लगाया था|आइये जानते हैं राकेश शर्मा जी के बारे में ... राकेश शर्मा (अंग्रेज़ी:Rakesh Sharma, जन्म:13 ज...