रेणुरंग: फणीश्वरनाथ रेणु की जन्मशती पर 10 चर्चित कहानियों का पुनर्पाठ. शब्दांकन और मैला आँचल ग्रुप की प्रस्तुति.नैना जोगिनसंघर्ष के भीतर ममत्व की फुहारें— रोहिणी अग्रवालधनुष की खिंची हुई प्रत्यंचा है नैना जोगिन! साक्षात् भैरवी! दुर्वासा ऋषि का स्त्री अवता...
पोस्ट लेवल : "रोहिणी अग्रवाल"

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हिंदी के चर्चित लेखक और अनुवादक प्रभात रंजन ने फेसबुक पर लिखा, ‘मनोहर श्याम जोशी अक्सर एक बात कहते थे तुम हिंदी वाले हिंदी को ढंग का एक लेखक भी नहीं दे पाए (उनकी मुराद मेरे जैसे हिंदी के विद्यार्थियों से होती थी)। हिंदी के अधिकांश बड़े लेखक वे हैं जो मूलत: हिंदी भा...

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कहानी की समीक्षा कैसे करें | तंत्र और आलोचना — रोहिणी अग्रवाल‘तेरह नंबर वाली फायर ब्रिगेड‘रोहिणी अग्रवालमहर्षि दयानंद विश्वविद्यालय,रोहतक, हरियाणामेल: rohini1959@gmail.comमो० : 9416053847कौतूहल और पठनीयता - ये दो ऐसी विशिष्टताएं है जो कथा साहित्य की रीढ़ हैं, लेकिन...

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हिन्दी रेखाचित्र : रोहिणी अग्रवाल — दादी की खटोली में आसमान का चंदोवा हिन्दी रेखाचित्र : रोहिणी अग्रवाल — दादी की खटोली में आसमान का चंदोवा लेकिन मां के लिए एक कोना भी नहीं। मां की निजी जरूरतों के लिए! एकांत पाकर अपने चित्त को सुस्थिर करने के लिए! बर्तनो...

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’शाल्मली’ के बहाने स्त्री विमर्श पर चर्चा उर्फ (adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({}); ’’नियम और धर्म केवल कागज पर लिखने के लिए होते हैं या फिर तुम औरतों के लिए बनाए जाते हैं। इनसे हट कर एक और कानून होता है जो हम मर्दों के बीच प्रचलि...

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Padtal Prem Kahaniyon ki — Rohini Aggarwalचुप्पी में पगे शुभाशीष बनाम पचास साल का अंतराल और प्रेम को रौंदती आक्रामकता — रोहिणी अग्रवालअज्ञेय की कहानी 'पठार का धीरज' से कुछ दृश्य और संवाद . . .थोड़ी दूर पर एक स्त्री स्वर बोला, 'तुम लोग वास्तव से भागना...

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Kautuhal se Aatmasakshatkar tak faila Kahani ka Vitaan— Rohini Agrawalहिंदी साहित्यिक कहानी के अवयवों को आधुनिक दृष्टि से दोबारा परिभाषित किये जाने की कितनी आवश्यकता थी यह वरिष्ठ आलोचक रोहिणी अग्रवाल के 'रचना समय' जनवरी 2016 में प्रकाशित इस लेख को पढ़ने स...

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’आराधन का दृढ़ आराधन से दो उत्तर’’’बोले विश्वस्त कंठ से जांबवान – रघुबरविचलित होने का नहीं देखता मैं कारणहे पुरुष सिंह, तुम भी यह शक्ति करो धारणआराधन का दृढ़ आराधन से दो उत्तरतुम वरो विजय संयत प्राणों से प्राणों पर।रावण अशुद्ध होकर भी यदि कर सका त्रस्ततो निश्चय तुम ह...

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डॉ. रोहिणी अग्रवाल ''मो को कहां ढूंढे रे बंदे, मैं तो तेरे पास में। ना तीरथ में, ना मूरत में, ना एकांत निवास में। ना मंदिर में ना मस्जिद में, ना...