क़ुदरती तौर पर कुछ चीज़ें..कुछ बातें...कुछ रिश्ते केवल और केवल ऊपरवाले की मर्ज़ी से ही संतुलित एवं नियंत्रित होते हैं। उनमें चाह कर भी अपनी मर्ज़ी से हम कुछ भी फेरबदल नहीं कर सकते जैसे...जन्म के साथ ही किसी भी परिवार के सभी सदस्यों के बीच, आपस का रिश्ता। हम चाह कर भी अ...
पोस्ट लेवल : "वंदना"

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तेरी सुरभि वहन कर लायी शीतल मलय बयार,भारती तेरी जय हो! तेरी स्मृति झंकृत कर जाती उर वीणा के तार भारती तेरी जय हो!अरुणोदय में सुन हंसासिनी तव पदचाप विहंगथिरक थिरक गा रहा प्रभाती पुलकित सारा अंग तेरे स्वागत में खिल जाती कुसुम कली साभार- भारती तेरी...

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सरस्वती वंदना बृज भाषा *सुरसती मैया की किरपा बिन, नैया पार करैगो कौन? बीनाबादिनि के दरसन बिन, भव से कओ तरैगो कौन?बेद-पुरान सास्त्र की मैया, महिमा तुमरी अपरंपार-तुम बिन तुमरी संतानन की, बिपदा मातु हरैगो कौन?*धरा बरसैगी अमरित की, माँ सारद की जै कहियौ नेह नरमदा बन जीव...

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सरस्वती वंदना मराठी वंदे वीणावादिनी वाणी!नमो नमो मां कंबुज पाणी!गीत ग़ज़ल मुक्तक ची दाता!शब्द भाव शुचि उक्ति प्रदाता !मुक्त छंद कविता बन फूला!चरणी चढ़वु हे सुख मूला!ग्यान दायिनी रूप अतूला! हो जननि मज वर अनुकूला!२वागीशा वरदायिनी अंबा!कमल नयनि! जय बाहू प्रलंबा!श्वे...

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सरस्वती वंदना कौरवी ।। ओ विद्या माता।।-----------------------------मेरे स्व. मित्र हास्यकवि श्री हरिराम चमचा ने एक बार प्रेरित किया कि अधिक न हो,पर अपनी मातृभाषा का ऋण उतारने के लिए उसमें कुछ-न-कुछ लिखना अवश्य चाहिए। इसे गम्भीरता से लेते हुए मैंने जनपद मुज़फ्फर...

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सरस्वती वंदनाडॉ0सतीश चंद्र शर्मा "सुधांशु"*माँ शारदे ममतामयीकरता तुझे शत-शत नमन।।स्वर और व्यंजन रूप मेंअन्तर्निहित उदबोध है ।तेरी कृपा के बिना क्याशिक्षा,कला परिबोध है।माँ शारदे अमृतमयीअर्पित तुझे श्रद्धा सुमन।।तू कला की अभिव्यंजनाअलकापुरी है शिल्प की।तू काल चिन्तन...

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आदि शक्ति वंदनासंजीव वर्मा 'सलिल'*आदि शक्ति जगदम्बिके, विनत नवाऊँ शीश.रमा-शारदा हों सदय, करें कृपा जगदीश....*पराप्रकृति जगदम्बे मैया, विनय करो स्वीकार.चरण-शरण शिशु, शुभाशीष दे, करो मातु उद्धार.....*अनुपम-अद्भुत रूप, दिव्य छवि, दर्शन कर जग धन्य.कंकर से शंकर रचतीं मा...

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‘बातों वाली गली” का कर्ज़ चुकाने का मौक़ा “अटकन चटकन” ने दे दिया, हालाँकि इसमें भी व्यक्तिगत व्यस्तताओं और परेशानियों के कारण महीने भर से ज़्यादा का समय निकल गया। यह उपन्यास लिखा है श्रीमती वंदना अवस्थी दुबे ने और इसके प्रकाशक हैं शिवना प्रकाशन। कुल जमा 88 पृष्ठ...

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हरयाणवीसरस्वती वंदना वीना तवंर, गुरुग्राम *शारदे माता वीणा वादिनी, करू तनै प्रणाम। वन्दना करु हे मेरी माता, दे दे बुध्दि ज्ञान। मेरी लेखनी नै वर दे, शक्ति मनै दे दे। मैं भीतर ले मन तै चाहू, तू मेट मेरा अज्ञान। धौले-धौले कपड़े पहनै, मोर की करै सवारी।...

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आदि शक्ति वंदनासंजीव वर्मा 'सलिल'*आदि शक्ति जगदम्बिके, विनत नवाऊँ शीश.रमा-शारदा हों सदय, करें कृपा जगदीश....*पराप्रकृति जगदम्बे मैया, विनय करो स्वीकार.चरण-शरण शिशु, शुभाशीष दे, करो मातु उद्धार.....*अनुपम-अद्भुत रूप, दिव्य छवि, दर्शन कर जग धन्य.कंकर से शंकर रच...