ब्लॉगसेतु

rahul dev
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आप साहित्यकार बनना चाहते हैं मगर कोई सम्पादक या प्रकाशक आपको घास डालने को तैयार नहीं। आप एकदम मायूस न हों, मैं आपको कुछ ऐसे पेटेन्ट नुसखे बता रहा हूं जिन्हें आज़माने से आपकी साहित्यकार बनने की मनोकामना अवश्य पूरी होगी। अगर आप समझते हैं कि साहित्यकार बनने के लिये आप...
 पोस्ट लेवल : व्यंग्य
rahul dev
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संवादों में व्यंग्य की संभावनाओं की तलाश राहुल देव द्वारा संपादित एवं संयोजित पुस्तक ‘आधुनिक व्यंग्य का यथार्थ’ कई मायनों में महत्त्वपूर्ण कही जा सकती है। किसी भी विचार या सम्प्रत्यय पर विमर्शों के आयोजन उसके प्रचार-प्रसार को नवीन सम्भावनाएँ प्रदान करने में सहायक ह...
 पोस्ट लेवल : समीक्षा व्यंग्य
समीर लाल
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 सुबह सुबह संदीप का फोन आया. कल रात उसके पिता जी को दिल का दौरा पड़ा है. अभी हालात नियंत्रण में है और दोपहर १२.३० बजे उन्हें बम्बई ले जा रहे हैं. वैसे तो सब इन्तजाम हो गया है मगर यदि २० हजार अलग से खाली हों तो ले आना. क्या पता कितने की जरुरत पड़ जाये? निश्चिंतता...
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- राजीव श्रीवास्तवप्रिय भक्तों,मैंने आपको इतने झटके दिए लेकिन आप पर कोई फर्क नहीं पड़ा। आप उसी बेशर्मी से मेरे साथ खड़े रहे जैसे 2014 में हिन्दू राष्ट्र और 15 लाख के लालच में खड़े थे। मिल गया हिन्दू राष्ट्र? मिल गए 15 लाख? नहीं न? फिर भी आपकी भक्ति में कमी नहीं आई।...
 पोस्ट लेवल : व्यंग्य
समीर लाल
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 आज फिर लिखने के लिए एक विषय की तलाश थी और विषय था कि मिलता ही न था, तब विचार आया कि इसी तलाश पर कुछ लिखा जाये. वैसे भी अगर आपको लिखने का शौक हो जाये तो दिमाग हर वक्त खोजता रहता है-कि अब किस विषय पर लिखा जाये? उठते-बैठेते, सोते जागते, खाते-पीते हर समय बस यही त...
समीर लाल
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 डेश बोर्ड, रिपोर्ट कार्ड, पॉवर पाईन्ट डेक, स्कोर कार्ड की तरह ही न जाने कितने नाम हैं, जो कारपोरेट वर्ल्ड से निकल कर पॉवरफुल सरकारी दुनिया में राजनिति चमकाने के लिए आ गये. इनको बनाना, इनको दिखाना, इनके बारे में बताना ही अपने आप में इतना भव्य हो गया कि जिन काम...
समीर लाल
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 अस्पतालों में ऑक्सीजन की भीषण कमी हो गई। हाहाकार मचा। जिसको जो समझ में आ रहा था वो उस पर तोहमत लगा रहा था। दोषारोपण हेतु लोगों को खोजा जा रहा था। कई दशकों पहले परलोक सिधार चुके लोग भी चपेट में आ रहे थे। जानवरों के डॉक्टर तक व्हाटसएप पर फेफड़ों में ऑक्सीजन की क...
समीर लाल
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 बहुत दिनों से परेशान था कि आखिर अपना नया उपन्यास किस विषय पर लिखूँ और उसको कौन सा फड़फड़ाता हुआ शीर्षक दूँ. उपन्यास लिखने वाले दो तरह के होते हैं, एक तो वो जो विषय का चुनाव कर के पूरा उपन्यास लिख मारते हैं और फिर उसे शीर्षक देते हैं और दूसरे वो जो पहले शीर्षक च...
समीर लाल
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 मांसाहारी को यह सुविधा रहती है कि मांसाहार न उपलब्ध होने की दशा में वो शाकाहार से अपना पेट भर ले. उसे भूखा नहीं रहना पडता. जबकि इसके विपरीत एक शाकाहारी को, शाकाहार न उपलब्ध होने की दशा में कोई विकल्प नहीं बचता. वो भूखा पड़ा मांसाहारियों को जश्न मनाता देख कुढ़ता...
समीर लाल
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 प्रकृति प्रद्दत मौसमों से बचने के उपाय खोज लिये गये हैं. सर्दी में स्वेटर, कंबल, अलाव, हीटर तो गर्मी में पंखा, कूलर ,एसी, पहाड़ों की सैर. वहीं बरसात में रेन कोट और छतरी. सब सक्षमताओं का कमाल है कि आप कितना बच पाते हैं और मात्र बचना ही नहीं, सक्षमतायें तो इन मौ...