Nitu Thakur 534 वक़्त की दहलीज़ पर...नीतू ठाकुर MAN SE- Nitu Thakur फेसबुक ट्विटर गूगल 13 दिसम्बर 2017 12:24 पूर्वाह्न रिपोर्ट स्पैम आंकड़े काव्य वक़्त की दहलीज़ पररोशनी सी टिमटिमाई रात के अंधियारे वन में एक खिड़की दी दिखाई चल ख्वाबों के पंख लगाकर नील गगन में उड़ते जायें तारों से रोशन दुनिया में सपनों का एक महल बनायें जहाँ बहे खुशियों का सागर फूलों की खुशबू को स... पोस्ट लेवल : वक़्त की दहलीज़ पर