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sanjiv verma salil
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शारदा वंदनमाँ शारदे! स्वर-सार देलय-भाव-रस उपहार देसुत को यही वरदान देरच छंद तुझ पर वार देभटका न लेकिन पा सकामाँ! कर दया; अब सार देमोती न हीरे चाहिएआशीष का गलहार देकुछ और चाहे हो नहींरचनाओं में भर प्यार दे१३-३-२०२० http://divyanarmada.blogspot.in/
sanjiv verma salil
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शारदा वंदनादोहा-बंदौं सारद मात खौं, हंस बिराजीं मौनसाँसों में ऐंसी बसीं, ज्यों भोजन में नौन*टेक-ओ बीनावाली सारदा!, बीना दो झनकारहंसबिराजीं मोरी माता, मंद-मंद मुसकांयहांत जोर ठाँड़े बिधि-हरि-हर, रमा-उमा सँग आँयओ बीनावाली सारदा! डालो दृष्टि उदारकमल आसनी मोर म'तारी, ध...
 पोस्ट लेवल : शारदा वंदना सरस्वती
sanjiv verma salil
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शारदा वंदनगीतआलोक दो माँ शारदे!*तम-तोम से दुनिया घिरी हैभीड़ एकाकी निरी हैअजब माया, आप छायाअकेलेपन से डरी हैलेने न चिंता चैन देतीआमोद दो माँ शारदे!*सननसन बह पवन बनकरछूम छनननन बज सके मनकलल कलकल सलिल निर्मलकरे कलरव नाचकर तनसुन सकूँ पल पल अनाहदनाद नित माँ शारदे!*बरस ट...