लाचार किस कदर से, हो गया है इंसान।सूनी पड़ी हैं सड़कें, आबाद है श्मशान।आया ये दौर कैसा, दुनिया है बदहवाश।धरती पे उतर आया, कहाँ से ये शैतान।धड़कन सहम गई हैं, साँसें गई हैं थम।अमेरिका हो इटली, क्या चीन या ईरान।बने रहें सजग हम, यही वक़्...
पोस्ट लेवल : "श्मशान"

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विश्वास के हल्के झोंके से पगी मानव मन की अंतरचेतना छद्म-विचार को खुले मन से धारणकर स्वीकारने लगी, हया की पतली परत सूख चुकी धरा के सुन्दर धरातल पर जिजीविषा पर तीक्ष्ण धूप बरसने लगी | अंतरमन में उलीचती स्नेह सर...

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इतनी बडी बस्ती मेंमुझे एक भी इंसान नहीं दिखता चेहरे ही चेहरे हैं बसकिस चेहरे को सच्चा समझूँकिसे झूठा मानूं और उस पर इन सबनेअपनी जमीन पर बाँध रखी हैधर्म की ऊंची - ऊंची इमारतेंइन्ही में रहते हैं ये मुखौटेक्षण प्रतिक्षण बदल लेते हैंनाम, जाति, रंग,रूपबसा रखा है स...

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किसी लेखक ने क्या खूब कहा है. जिंदगी और मौत दोस्तों, 'मौत' शब्द पर एक लेखक ने "आनंद" फिल्म में अभिनेता राजेश खन्ना के माध्यम से कितना कुछ कहा है. इससे आप भली भांति परिचित है. मेरी उनके सामने कोई भी औकात नहीं हैं.मगर मैंने कुछ कहने का प्रयास किया है.गुण-अवगुणों...

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