अब और न कुछ कह पाऊंगा, मन की अभिव्यक्ति मौन सही !कुछ लोग बड़े आहिस्ता सेघर के अंदर , आ जाते हैं !चाहे कितना भी दूर रहें ,दिल से न निकाले जाते हैं !ये लोग शांत शीतल जल मेंतूफान उठाकर जाते हैं !सीधे साधे मन पर, गहरे हस्ताक्षर भी कर जाते हैं !कहने...
पोस्ट लेवल : "संस्मरण"

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परसाई जी के चुटीले और बेधक व्यंग्य लेखन के पीछे क्या कारण थे और एक हाई स्कूल का मास्टर किस तरह देश का प्रख्यात व्यंग्य लेखक बना यह जानने के लिये परसाईजी पर उनके समकालीन साथियों के संस्मरण बहुत अच्छा जरिया हैं। हिन्दी दैनिक देशबन्धु के प्रकाशक मायाराम सुरजन भी उनके...

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कोरोना की मार झेलकर 10 दिन बाद हाॅस्पिटल से घर पहुंचा तो एक पल को ऐसे लगा जैसे मैंने दूसरी दुनिया में कदम रख लिए हों। गाड़ी से सारा सामान खुद ही उतारना पड़ा। घरवाले दूरे से ही देखते रहे, कोई पास नहीं आया तो एक पल को मन जरूर उदास हुआ लेकिन जैसे ही मेरे राॅकी की नजर मु...

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भारत में भी है ‘सिल्क रूट टूरिज़्म’ का मजामध्यकालीन व्यापारिक गतिविधियों की रोचक और साहसिक कथाएँ सिल्क रूट या रेशम मार्ग में बिखरी पड़ी हैं। सिल्क रूट का सबसे चर्चित हिस्सा, यानि उत्तरी रेशम मार्ग 6500 किलोमीटर लंबा है। दुनिया-भर में बदलती स्थितियों के कारण स...

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बचपन के उन दिनों में समझ न थी कि डायरी लेखन क्या होता है? डायरी लिखने के नाम पर क्या लिखा जाता है? शैतानी, मस्ती, मासूमियत भरे उन दिनों में बाबा जी ने हम भाइयों को एक दिन डायरी देते हुए डायरी लेखन को प्रोत्साहित किया. पहले तो कुछ समझ ही नहीं आया कि क्या लिखना होगा...

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शैतानियाँ, शरारतें कहीं से भी सीखनी नहीं पड़ती हैं. कोई सिखाता भी नहीं है. यह तो बालपन की स्वाभाविक प्रकृति होती है जो किसी भी बच्चे की नैसर्गिक सक्रियता के बीच उभरती रहती है. स्कूल में हम कुछ मित्रों की बड़ी पक्की, जिसे दांतकाटी रोटी कह सकते हैं, दोस्ती थी. कक्षा मे...