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sanjiv verma salil
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पुस्तक चर्चा''एक सच्चाई यह भी'' - अपनी सोच अपना नज़रियाचर्चाकार- आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल'*[पुस्तक विवरण- एक सच्चाई यह भी, विद्या लाल, लेख संग्रह, ISBN ९७८-९३-८५९४२-१२-९, वर्ष २०१६, २०.७ से.मी. x १४ से. मी., पृष्ठ १८८, मूल्य १५०/-, आवरण बहुरंगी पेपरबैक, बोधि प्...
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--जब भी लड़ने के लिए, लहरें हों तैयार।कस कर तब मैं थामता, हाथों में पतवार।।--बैरी के हर ख्वाब को, कर दूँ चकनाचूर।जब अपने हो सामने, हो जाता मजबूर।।--जब भी लड़ने के लिए, होता हूँ तैयार।धोखा दे जाते तभी, मेरे सब हथियार।।--साधन हो पैसा भले...
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--तन्त्र अब खटक रहा है।सुदामा भटक रहा है।।--कंस हो गये कृष्ण आज,मक्कारी से चल रहा काज,भक्षक बन बैठे यहाँ बाज,महिलाओं की लुट रही लाज,तन्त्र अब खटक रहा है।सुदामा भटक रहा है।।--जहाँ कमाई हो हराम कीलूट वहाँ है राम नाम की,महफिल सजती सिर्फ जाम कीबोली लगती जहाँ चाम क...
Sanjay  Grover
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(पिछला हिस्सा यहां पढ़ें)बात तो दिलचस्प है। ‘ईश्वर जब हमें पिता बनने के लिए चुनते हैं तो हमारे लिए बड़ी इज़्ज़त की बात होती है’, करन जौहर से लगभग यही तो कहा शाहरुख ने।यह एक महत्वपूर्ण तथ्य है कि ‘भगवान’ के प्रचार-प्रसार और ‘मेंटेनेंस’ में हिंदी फ़िल्मों की बहुत बड़...
Sanjay  Grover
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यूं तो इससे पहले कुछ पैंडिंग/लंबित पड़े लेख/मामले निपटाने का इरादा था मगर चैनल बदलते-बदलते कुछ ऐसा दिख गया कि जो लिखना था लिख गया।( ‘‘कुछ ऐसा दिख गया कि जो लिखना था लिख गया’’ वाक्य के कोई ख़ास मायने नहीं हैं, बस फ़िल्मी क़िस्म का डायलॉग ही है)बात हो रही थी शब्दों की त...
विजय राजबली माथुर
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स्पष्ट रूप से पढ़ने के लिए इमेज पर डबल क्लिक करें (आप उसके बाद भी एक बार और क्लिक द्वारा ज़ूम करके पढ़ सकते हैं )  संकलन-विजय माथुर, फौर्मैटिंग-यशवन्त यश
PRABHAT KUMAR
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सच्चाई से रू-बरू तो सब ही होते है पर एक सच्चाई से शायद नहीं। यह राज भी हो सकता है। वह है-"कोई किसी को कुछ नहीं जानता तो कोई फर्क नहीं पड़ता पर अगर कोई किसी से परिचित है या उसे जानता है। इन सबके बावजूद उसे किसी बात को लेकर गलतफहमी हो गयी हो और वह नहीं समझता या नही सम...
 पोस्ट लेवल : सच्चाई चिन्तन
Kheteswar Boravat
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Kheteswar Boravat
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विजय राजबली माथुर
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1991 में अल्पमत सरकार के प्रधानमंत्री पी वी नरसिंहा राव साहब ने वर्ल्ड बैंक के पूर्व अधिकारी मनमोहन सिंह जी को वित्तमंत्री बनाया था जिनके द्वारा शुरू किए गए 'उदारीकरण ' को न्यूयार्क में जाकर आडवाणी साहब द्वारा उनकी नीतियाँ चुराया जाना बताया गया  था। उस उदारीकर...