##अप्रियसत्यसत्य मैं लिखता रहामित्र मजाक समझते रहेपीड़ा में घुलता रहाव्यंग्य का कीड़ा समझते रहे।सच्चाई पसंद नहीं आती हैअप्रिय लगती हैलगता है झूठ लिख रहा हूंसच न जाने क्योंसबको झूठ लगता है।लगता है सबकोकि ऐसा हो नहीं सकताइतना बुरा एक लेखक के साथउसके परिवार जन क...
पोस्ट लेवल : "सच्चाई"

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https://www.facebook.com/aazkiafwah#HindiwritersandpublishersAKA - 31यह कोरी अफवाह नहीं है क्योंकि हिंदी लेखन से जुड़े सभी रचनाकारों की दिली चाह और हक को सम्मान देते हुए, भारत सरकार का संबंधित मंत्रालय का इस संबंध में सख्त कानून बना रहा है। प्रस्तावित कान...

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फादर्स डे के नाम पर सज गए बाजार सन सभी हो गए हैं दुकानदार फादर भी नहीं बच पाए हैं सन के दर पर नहीं आए हैं पिता दिवस के नाम पर चल रहा है धंधा अंधी हुई है कमाई बाजार की भाषा मेंपाई है मलाई पिता दिवस है आज मुझे क्या लेना मुझे क्या देना पिता को तो मेरे स्...