कौन थे ओशो? इंटरनेट के सौजन्य से ओशो 20वीं सदी के आध्यात्मिक गुरु व दर्शनशास्त्र के अध्यापक थे, ओशो का जन्म मध्य प्रदेश के रायसेन में 11 दिसम्बर 1931 को हुआ था बचपन का नाम चन्द्र मोहन जैन था बाद में आचार्य रजनीश कहलाये किन्तु उनकी असली पहचान ओशो के रु...
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हिंसा का औचित्य कहां अबसन्मुख बैठो बात करोउठा तिरंगा शांति दूत बनपीछे ना आघात करो.....राज तंत्र से मन खट्टा जोन्याय तंत्र विश्वास करोकाले गोरे नहीं लड़ाईअपने सब तुम ध्यान रखो........कट्टरता आतंक है खांईखोल आंख पहचान करोतेरा मेरा घर ना भाईकाल अग्नि सम ध्यान धरो........

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मै रोज तकूं उस पारहे प्रियतम कहां गएछोड़ हमारा हाथअरे तुम सात समुंदर पारनैन में चलते हैं चलचित्रछोड़ याराना प्यारे मित्रन जाने कहां गए......एकाकी जीवन अब मेरासूखी जैसी रेतभरा अथाह नीर नैनों मेंबंजर जैसे खेतवो हसीन पल सपने सारेमौन जिऊं गिन दिन में तारेन जाने कहां गए...

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दो फाड़ हो चुके....................चूहों की चौपाल मेंघमासान जारी हैदो फाड़ हो चुकेफिर भी ये टुकड़ाअभी बहुत भारी है....तीन चूहेएक रोटीसामर्थ्य नहींनोच दो फाड़ दोउछल कूद जारी है...उधेड़बुन, कशमकशएक कोने से दूजे कोनेदौड़ भाग केंद्र तक जारी है...मन नहीं है बांटने काअनम...

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भारत में भी है ‘सिल्क रूट टूरिज़्म’ का मजामध्यकालीन व्यापारिक गतिविधियों की रोचक और साहसिक कथाएँ सिल्क रूट या रेशम मार्ग में बिखरी पड़ी हैं। सिल्क रूट का सबसे चर्चित हिस्सा, यानि उत्तरी रेशम मार्ग 6500 किलोमीटर लंबा है। दुनिया-भर में बदलती स्थितियों के कारण स...

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सामाजिकता का ताना-बाना वर्तमान में किस कदर उलझ गया है, इस बात की कल्पना कर पाना भी कई बार सम्भव सा नहीं लगता है. जीवन की आपाधापी में, मूलभूत आवश्यकताओं को पूरा करने की जद्दोजहद में इंसान रिश्तों की कदर करना भूलता सा जा रहा है. रिश्तों का आपसी साहचर्य भी उसके लिए वि...

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मुट्ठी से फिसल गया ******* निःसंदेह, बीता कल नहीं लौटेगा जो बिछड़ गया, अब नहीं मिलेगा फिर भी रोज़-रोज़ बढ़ती है आस कि शायद मिल जाए वापस जो जाने अनजाने, बंद मुट्ठी से फिसल गया। खुशियों की ख़्वाहिश. गो...

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आए दिन रिश्तों की बदलती परिभाषा देखने को मिलती है। अचानक से सम्बन्धों की प्रगाढ़ता में नकारात्मक परिवर्तन उत्पन्न हो जाते हैं। रिश्तों, सम्बन्धों की ऐसी प्रगाढ़ता के अचानक से समाप्त होने के पीछे की स्थिति का आकलन लोग करने के बजाय सम्बन्धों, रिश्तों को तोड़ने में ज्या...

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अकसर कहने-सुनने में आता है कि अँधेरे में परछाई भी साथ छोड़ देती है। इसका सीधा सा अर्थ इस बात से लगाया जाता है कि लोग मुश्किल समय में, किसी कठिनाई में साथ छोड़ देते हैं। ऐसा सत्य भी है मगर यही अंतिम सत्य नहीं है। कठिनाई में भी बहुत से लोग ऐसे हैं जो लोगों की ताक...

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किसी से प्रेम हो जाना, किसी के प्रति आकर्षण होना, किसी का पसंद आने लगना, कोई दिल को अच्छा लगने लगता है आदि-आदि बातें लगभग सभी के साथ होती हैं. ये और बात होती है कि बहुतायत लोग अपनी पसंद, अपने आकर्षण को प्रदर्शित नहीं करते हैं, यहाँ तक कि जिसे पसंद करते ह...