कहते हैं कि हर तरह की शराब में अलग अलग नशा होता है। किसी को पीते ही एकदम तेज़ नशा सोडे की माफ़िक फटाक से सर चढ़ता है जो उतनी ही तेज़ी से उतर भी जाता है। तो किसी को पीने के बाद इनसान धीरे धीरे सुरूर में आता है और देर तक याने के लंबे समय तक उसी में खोया रहता है। कुछ इसी...
पोस्ट लेवल : "सुनीता सिंह"

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पुरोवाक : दोहा दुनिया सँजोती 'सीप के मोती' आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल' *सकल सुरासुर सामिनी, सुण माता सरसत्तिविनय करीं इ वीनवुं, मुझ तउ अविरल मत्तिसुरसुरों की स्वामिनी, सुनिए शारद मातविनय करूँ सिर नवा- दो, निर्मल मति सौगात संवत १६७७ में रचित '...

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पुस्तक चर्चा :''कालचक्र को चलने दो'' भाव प्रधान कवितायें''[पुस्तक विवरण: काल चक्र को चलने दो, कविता संग्रह, सुनीता सिंह, प्रथम संस्करण २०१८, पृष्ठ १२५, आकार २० से.मी. x १४.५ से. मी., आवरण बहुरंगी पेपर बाइक लेमिनेटेड, २००/- प्रतिष्ठा पब्लिशिंग हाउस, लखनऊ]*साहित्य सम...

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ॐपुरोवाकलवाही : नवगीत की नई फसल की उगाही आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल' * नवगीत मानवीय अनुभूतियों की जमीन से जुड़ी शब्दावली में काव्यात्मक अभिव्यक्ति है। अनुभूति किसी युग विशेष में सीमित नहीं होती। यह अनादि और अनंत है। मानवेतर जीव इसकी अभिव्यक्ति...

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पुरोवाकओस की बूँद - भावनाओं का सागरआचार्य संजीव वर्मा 'सलिल'*सर्वमान्य सत्य है कि सृष्टि का निर्माण दो परस्पर विपरीत आवेगों के सम्मिलन का परिणाम है। धर्म दर्शन का ब्रह्म निर्मित कण हो या विज्ञान का महाविस्फोट (बिग बैंग) से उत्पन्न आदि कण (गॉड पार्टिकल) दो...

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पुस्तक चर्चा : ''कालचक्र को चलने दो'' भाव प्रधान कवितायें '' [पुस्तक विवरण: काल चक्र को चलने दो, कविता संग्रह, सुनीता सिंह, प्रथम संस्करण २०१८, पृष्ठ १२५, आकार २० से.मी. x १४.५ से. मी., आवरण बहुरंगी पेपर बाइक लेमिनेटेड, २००/- प्रतिष्ठा पब्लिशिंग हाउस, लखनऊ] *सा...

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प्यारी लड़कियों,कहा जाता है कि जैसे-जैसे लड़की बड़ी होती है, उसकी मां उसकी सहेली बन जाती है और ज़िंदगी में आने वाली हर चीज़ की सीख देती है। आज मैं तुम सभी से जो कहने जा रही हूं वो तुम्हारी माँएं भी तुमसे नहीं कहतीं। जब बेटी बड़ी होने लगती है तो माँएं या तो गूंगी-बह...

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आइए छंद खोजें:होली गीत-- "ब्रज की होली" सुनीता सिंह * फाग राग में डूब के मनवा राधे-राधे बोल रहा है। ३३ बाँसुरिया की तान पे मौसम शरबत मीठा घोल रहा है।। ३३ ब्रज की गली में घूम रही ग्वाल-बाल की टोलियाँ। २८ रंग-बिरंगे जल से भरी लहराती पिचका...

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कार्यशाला: कुण्डलिया एक : कवि दो राधा मोहन को जपे, मोहन राधा नाम।अनहोनी फिर भी हुई, पीड़ा उम्र तमाम।। -सुनीता सिंह पीड़ा उम्र तमाम, सहें दोनों मुस्काते। हरें अन्य की पीर, ज़िंदगी सफल बनाते।। श्वास सुनीता आस, हुई संजीव अबाधा। मोहन राधा नाम, जपे मोहन को राधा।। -संजीव...

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लाघुकथान्कुर: १सुनीता सिंह*लघुकथा - हिसाब रीमा दफ्तर से घर पहुँची, शाम के छः बज चुके थे। दरवाज़े का ताला खोल ही रही थी कि पड़ोस की दो महिलाएँ वहाँ से गुजरीं। उनमें से एक महिला बुजुर्ग तथा दूसरी मध्यम उम्र की थी। रीमा ने एक माह पूर्व ही अपने पति विहान के साथ वहाँ र...