बदले समय के साथ में बढ़ती जनसंख्या के भार सेबड़े मकानों का चलन न रहा रहनसहन का ढंग बदला |पहले बड़े मकान होते थेउनमें आँगन होते थे अवश्यदोपहर में चारपाई डाल महिलाएं बुनाई सिलाई करतीं थीं धूप का आनंद लेतीं थीं |अचार चटनी मुरब्बे में...
पोस्ट लेवल : "सेना"

0
प्रतिभा मंच फिलबदीह 1018मापनी ...2122..1212..22वस्ल की रात आज आई हैबज उठीं है ये चूड़ियां शायद..।।आग दिल में लगी बुझे कैसेउठ रहा इस लिये धुआं शायद।।उनके आने से बहार भी आईखूब मचले ये शोखियाँ शायद।।मतला...बढ़ रही है ये दूरियाँ शायदकाम आतीं मजबूरियों शायद।।दिल की...

0
221. 2121. 1221. 212मतला❣आंखों के आगे गिर रहे पत्ते चनार केआंसू लहू के टपके दिले दाग दार के ।।❣हुस्ने मतलासोचा किये कि जाएंगे मौला के द्वार पेसपने अधूरे रह गए ग़म बेशुमार के।।❣छाया यहाँ नहींअब शायद इसी लिएपेड़ों के कौन ले गया ज़ेवर उतार के ।।❣ ...

0
कॉल सेंटर जोकि लोगों की नज़र में बदनाम जगह है। लोग कानाफूसी करते हैं कि वहां झोरे-झोरियां दिन-रात फोन पर लगे रहते हैं। पता नहीं कैसी जॉब है? अच्छा हो कि कोई और सभ्य जॉब कर लेते, यहीइच जॉब बचा था क्या बाबा... । रोज-रोज आदित्य अपने पड़ोसी की यह बात सुनते हुए बोला, ''...

0
महाराष्ट्र में राजनीति के ऊँट ने कई बार इधर-उधर करवटें बदलते हुए अंततः उस तरह करवट ले ली, जिस तरफ किसी ने सोचा न था. शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के साथ ही एक ऐसा अध्याय जुड़ गया जो राजनीति की कल्पना में ही संभव कहा जायेगा. जैसा कि कहा जा...

0
चिट्ठी लिखी गई पर पराली वाला मौसम देखकर शरमा गई।सरकार बिलकुल बनते-बनते रह गई।सबसे बड़ी तकलीफ़देह बात तो यह रही कि लड्डुओं ने पेट में पचने से ही इंकार कर दिया।खाने के बाद पता चला कि वे ग़लत पेट में चले गए।अब समस्या सरकार बनाने से ज़्यादा लड्डुओं को पचाने की हो गई।वे...