सामाजिक कुरूतियों का किया गया दहनझाबुआ। राष्ट्रीय राजपूत करणी सेना द्वारा स्थानीय विजय स्तंभ तिराहे के समीप श्री राजपूत बोर्डिंग हाउस पर बुधवार को रात्रि 8.20 बजे होलिका दहन कार्यक्रम का आयोजन किया गया। करणी सेना द्वारा अनोखे रूप से आयोजन करते हुए सूखे कंडों...
पोस्ट लेवल : "सेना"

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- लोकेंद्र सिंह -भारत के लिए पिछले तीन-चार दिन बहुत महत्वपूर्ण साबित हुए हैं। एक के बाद एक तीन विजयश्री भारत के खाते में आई हैं। सबसे पहले भारत ने सीमा पार जाकर आतंकी ठिकानों को नष्ट कर अपने शौर्य का परिचय दिया। उसके बाद आतंकियों को खुश करने की खातिर किए गए पाकिस्त...

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- लोकेन्द्र सिंह - आतंकी गिरोहों पर भारतीय वायु सेना के हमले से पाकिस्तान को अधिक दर्द हो रहा है। पाकिस्तान की सरकार और सेना आतंकी गिरोहों के इतने दबाव में है कि उसे भारत पर पलटवार करने को मजबूर होना पड़ रहा है। पाकिस्तान ने मंगलवार शाम से ही सीमा पार से गोलाब...

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- लोकेन्द्र सिंह - पुलवामा हमले पर भारत की ओर से पाकिस्तान और उसके संरक्षण में पल रहे आतंकी गिरोहों को सर्जिकल स्ट्राइक-2 से मुंह तोड़ जवाब दिया गया है। पाकिस्तान और आतंकी गिरोहों को भारत के इस जवाब से सबक सीख लेना चाहिए। उन्हें यह बात गाँठ बांध लेनी चाहिए कि...

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भारत की आजादी के ठीक पहले मुम्बई में रायल इण्डियन नेवी के सैनिकों द्वारा पहले एक पूर्ण हड़ताल की गयी और उसके बाद खुला विद्रोह भी हुआ। इसे ही जलसेना विद्रोह या मुम्बई विद्रोह(बॉम्बे म्युटिनी) के नाम से जाना जाता है। यह विद्रोह १८ फ़रवरी सन् १९४६ को...

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- लोकेन्द्र सिंह -आतंकियों के कायराना हमले में हमने भारत माँ के लाल खोये हैं। देश में दु:ख और आक्रोश की लहर है। प्रत्येक राष्ट्रभक्त नागरिक बलिदानियों के लिए ईश्वर से प्रार्थना कर रहा है। उनके परिवार के प्रति अपनी संवेदनाएं प्रकट कर रहा है। हम सबकी जिम्मेदारी है कि...

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मुक्तक *देश है पहले सियासत बाद में। शत्रु मारें; हो इनायत बाद में।।बगावत को कुचल दें हम साथ मिल-वार्ता की हो रवायत बाद में।। *जगह दहशत के लिये कुछ है नहीं। जगह वहशत के लिए कुछ है नहीं।।पत्थरों को मिले उत्तर गनों से -जगह रहमत के लिए कुछ है नहीं।।*सैनिकों को टोंकना अ...

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हम तो केवल हँसना चाहें सबको ही, अपनाना चाहेंमुट्ठी भर जीवन पाए हैंहँसकर इसे बिताना चाहेंखंड खंड संसार बंटा है, सबके अपने अपने गीत।देश नियम,निषेध बंधन में, क्यों बाँधा जाए संगीत।नदियाँ, झीलें, जंगल,पर्वतहमने लड़कर बाँट लिए।पैर जहाँ पड़ गए हमारे ,टुकड़े, टुकड़े...