कभी-कभी हम भी क्या सोचने लग जाते हैं। कैसे अजीब से दिन। रात। शामें। हम सूरज के डूबने के साथ डूबते नहीं। चाँद के साथ खिल उठते हैं। काश! यह दुनिया सिर्फ़ दो लोगों की होती। एक तुम। एक मैं। दोनों इसे अपने हाथों से बुनते, रोज़ कुछ-न-कुछ कल के लिए छोड़ दिया करते। कि कल मुड़...
पोस्ट लेवल : "हम दोनों"

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जब हम सब खाना खा लेते हैं, तब सोचने लगता हूँ कि वह जल्दी से बर्तन माँज लें और हम दोनों हर रात कहीं दूर निकल आयें। हम दोनों की बातें पूरे दिन इकट्ठा होती गईं बातों के बीच घिरकर, झगड़ों के बगल से गुज़रकर सपनों के उन चाँद सितारों में कहीं गुम हो जातीं। हर रात ऐसा ही होन...

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उधर कोने वाली बरसाती में वह अचानक आकर छिप जाता। वहाँ अँधेरा इस कदर काला रहता के उसमें सिवाए साँसों के किसी भी चीज़ का कोई एहसास नहीं रह जाता। रह जाना कुछ छूट जाना था, उसकी यादें छूट रही थीं। ख़ुद वह कहीं पीछे किसी लाल छतरी वाली सपनीली दोस्त की परछाईं में गुमसुम-सा रह...

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दिल्ली हमारे सपनों का शहर। हम कभी सपनों में भी दिल्ली नहीं आपाते। अगर हमारी दादी ने हमारे पापा को बाहर पढ़ने के लिए भेजा न होता। तब यहाँ रहना तो दूर, इसे कभी छू भी नहीं पाते। हम दिल्ली रोज़ सुनते, पर कभी इसे देख नहीं पाते। हम भी वहीं चार-पाँच साल पहले तुमसे शादी और द...

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तो उस सड़क पर कोई नहीं है। सिर्फ़ हम दोनों है। क्योंकि यह सपना हम दोनों का है। वह सड़क है भी या नहीं, पता नहीं। पर दिख सड़क जैसी ही रही है। हो सकता है हम जैसे-जैसे आगे बढ़ते जा रहे हों, वह पीछे से गायब होती हमारी आँखों में समाती जा रही हो। रात के कितने बज रहे हैं, पता न...

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जब तुम अपनी आवाज़ में अपनी उदासी छिपा रही होती होमैं बिलकुल वहीं उसी आवाज़ में कहीं बैठा उदास हो रहा होता हूँ।इस तरह हम दोनों लगभग एक साथ उदास होने लगते हैं।इस उदास होने को हम किसी काम की तरह करतेहम दोनों इसी की बात करते कि उदास होने से पहले और उदास हो जाने के बाद हम...

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सुबह जैसे ही रेडियो चालू किया, मुझे एक जोर का झटका लगा और एक्सिडेंट होते होते बच गया। गाने के बोल थे 'बिल्डिंग है ऊंची, लिफ़्ट है बंद, कैसे आऊं, दिल तो है रजामंद' ये गाना है? इसके बाद का गाना इस से भी बढ़ चढ़ कर था'हश हश हश पापा स्लीपिंग, वॉल्यूम कम कर पापा जाग जायेगा...