अर्थ घनत्व की दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं "जोगिनी गंध" के हाइकु - डॉ. शैलेष गुप्त 'वीर'वर्तमान युग परिवर्तन का युग है और परिवर्तन की यह प्रक्रिया जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में है। साहित्य भी इससे अछूता नहीं है। मुझे यह कहने में कोई हिचक नहीं है कि बदलते परिवेश में...
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पुरोवाक :'जोगिनी गंध' - त्रिपदिक हाइकु प्रवहित निर्बंध आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल'*भाषा सतत प्रवाहित सलिला की तरह निरंतर परिवर्तनशील होती है। लोकोक्ति है 'बहता पानी निर्मला', जिस नदी में जल स्रोतों से निरंतर ताजा जल नहीं आता और सागर में जल र...

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हाइकु *माँ सरस्वती! अमल-विमल मति दे वरदान। *हंसवाहिनी!कर भव से पार वीणावादिनी। *श्वेत वसना !मन मराल कर कालिमा हर। *ध्वनि विधात्री!स्वर-सरगम दे गम हर ले। *हे मनोरमा!रह सदय सदा अभयप्रदा। *मैया! अंकित छवि मन पर हो दैवी वंदित।*शब्द-साधना सत-शिव-सुंदर पा अर्चित हो। *...

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दिवाली (दिवाली पर 7 हाइकु) ******* 1. सुख समृद्धि हर घर पहुँचे दीये कहते। 2. मन से देता सकारात्मक ऊर्जा माटी का दीया। 3. दीयों क...

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चाँद (चाँद पर 10 हाइकु) ******* 1. बिछ जो गई रोशनी की चादर चाँद है खुश। 2. सबका प्यारा कई रिश्तों में दिखा दुलारा चाँद। 3. सह न सका&n...

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रिश्ते(10 हाइकु) ******* 1. कौन समझे मन की संवेदना रिश्ते जो टूटे। 2. नहीं अपना कौन किससे कहे मन की व्यथा। 3. दीमक लगी अंदर से...

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साँझ (साँझ पर 10 हाइकु) ******* 1. साँझ पसरी ''लौट आ मेरे चिड़े !'' अम्मा कहती। 2. साँझ की वेला अपनों का संगम रौशन नीड़। 3. क्षितिज प...

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5-7-5 वर्णआँख में फूल,तलवे में कंटक,प्रेम-डगर।**मुख पे हँसी,हृदय में क्रंदन,विरही मन।**बसो तो सही,यदि तुम हो स्वप्न,तो चले जाना।**आज का स्नेहउफनता सागरतृषित देह।**शब्द-बदलीकाव्य-धरा बरसीकविता खिली।**आया चढ़ावाबंदरों का कलेवाईश्वर भूखा।**बासुदेव अग्रवाल 'नमन'तिनसुकिय...

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अकेले हम (5 हाइकु) ******* 1.ज़िन्दगी यही चलना होगा तन्हा अकेले हम। 2.राहें ख़ामोश सन्नाटा है पसरा अकेले हम। 3.हज़ारों बाधा थका व हारा मन अकेले ह...

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1नभ सिन्दूरीचहचहाहट सेपुलका नीड़2सांध्य नायिकाफैला रही आँचललौटे पथिक3साँझ की बेलाताकता रहा चाँदजो है अकेला4उठो मुनियादीया बाती लगाओसाँझ आयी है5बोझिल तनशाम की आहट सेहुलसा मन6वृद्ध है दिनसाँझ के साथ आईसहेली निशा