ब्लॉगसेतु

sanjiv verma salil
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सॉनेटदयानन्द•शारद माँ के तप: पूत हे!करी दया आनंद  लुटाया।वेद-ज्ञान-पर्याय दूत हे!मिटा असत्य, सत्य बतलाया।।अंध-भक्ति का खंडन-मंडन। पार्थिव-पूजन को ठुकराया। सत्य-शक्ति का ले अवलंबन।। आडंबर को धूल मिलाया।। राजशक्ति से निर्भय जूझे। लोकशक्त...
sanjiv verma salil
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सॉनेटक्यों?*अघटित क्यों नित घटता हे प्रभु?कैसे हो तुम पर विश्वास?सज्जन क्यों पाते हैं त्रास?अनाचार क्यों बढ़ता हे विभु?कालजयी क्यों असत्-तिमिर है? क्यों क्षणभंगुर सत्य प्रकाश?क्यों बाँधे मोहों के पाश?क्यों स्वार्थों हित श्वास-समर है?क्यों माया की छाया भाती?क्यों का...
सतीश सक्सेना
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डी पी एस ग्रेटर नॉएडा के, एक क्षात्र, रानू , जो कि, पढने लिखने में बहुत अच्छे होने के साथ साथ, खाने पीने में, भी मस्त हैं, के मन की बातें यहाँ दे रहा हूँ ! जब भी हम सब साथ साथ , खाने पर एक साथ बैठते तो बच्चों से उनके भविष्य की चर्चा तथा क्लास में उनकी पोज...
संतोष त्रिवेदी
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कहते हैं मुसीबत अकेले नहीं आती।एक ठीक से जा भी नहीं पाती कि दूसरी और ‘बेहतर’ तरीक़े से दबोच लेती है।पहले वायरस से बचने की मुसीबत थी फिर मुई वैक्सीन आ गई।कह रहे हैं कि पचास-पार वालों को पहले लगेगी।ये भी कोई बात हुई ! लगता है वायरस से तो बच गए पर इससे बचना मुश्किल है...
sanjiv verma salil
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एक रचनाघुटना वंदन*घुटना वंदन कर सलिल, तभी रहे संजीव।घुटने ने हड़ताल की, जीवित हो निर्जीव।।जीवित हो निर्जीव, न बिस्तर से उठने दे।गुड न रेस्ट; हो बैड, न चलने या झुकने दे।।छौंक-बघारें छंद, न कवि जाए दम घुट ना।घुटना वंदन करो, किसी पर रखो न घुटना।।*मेदांता अस्पताल दिल्ली...
सतीश सक्सेना
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 मेरे दोस्तों में उम्र में मुझसे २० वर्ष छोटे (45 वर्षीय जो खुद को उम्रदराज समझते हैं) भी अक्सर उन्मुक्त होकर हंस नहीं पाते और अगर कोई मजाक या जोक शेयर कर दूँ तो इधर उधर देखने लगते हैं कि कोई क्या कहेगा ! मुझे लगता है कि प्रौढ़ावस्था के आसपास के अधिकतर व्यक्ति...
kumarendra singh sengar
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फिल्मों के सीक्वेल बनने के दौर में बर्थडे का सीक्वेल बनाया जाना वर्ल्ड रिकॉर्ड हो सकता है. इसके लिए सारिका को और धर्मेन्द्र को ही श्रेय दिया जाना चाहिए. आपको आश्चर्य लग रहा होगा न? लगना भी चाहिए आखिर अवसर भी ऐसा है. अमिता दीदी के स्नेहिल सान्निध्य में सारिका की बर्...
kumarendra singh sengar
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एक रहिन ईर, एक रहिन बीर, एक रहिन फत्ते, एक रहिन हम.ईर ने कहा चलो शिकार कर आबें,बीर ने कहा चलो शिकार कर आबें,फत्ते बोले चलो शिकार कर आबें,हमऊँ बोले हाँ चलो शिकार कर आबें. ईर ने मारी एक चिरैया,बीर ने मारी दो चिरैयाँ,फत्ते मारे तीन चिरैयाँ,और हम???? हम मारे एक चुखरिया...
sanjiv verma salil
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दोहा सलिला मेघ अश्रु ढलका रहे, हवा रखाए धैर्यभू आँचल से पोछती, सलिल बहे निर्वैर्यहास्य रचना:उल्लू उवाचमुतके दिन मा जब दिखो, हमखों उल्लू एक.हमने पूछी: "कित हते बिलमे? बोलो नेंक"बा बोलो: "मुतके इते करते रैत पढ़ाई.दो रोटी दे नई सके, बो सिच्छा मन भाई.बिन्सें ज्यादा...
sanjiv verma salil
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हास्य सलिलालालू जी बाजार गयेसंजीव*लालू जी बाजार गये, उस दिन लाली के साथपल भर भी छोड़ा नहीं, लिये हाथ में हाथदोस्त साथ था हुआ चमत्कृत बोला: 'भैया! खूबदिन भर भउजी के ख्याल में कैसे रहते डूब?इतनी रहती फ़िक्र, न छोड़ा पल भर को भी हाथ'लालू बोले: ''गलत न समझो, झुक जाएगा माथ...