तुम और मैं दो अलग जिंदगियां हैं. हम दोनों दो अलग दुनिया हैं. हम दोनों समय के दो अलग -अलग आयाम, दो अलग टुकड़े हैं. हम कभी नहीं मिलेंगे, हम कभी नहीं जुड़ेंगे या जुड़ पायेंगे एक--दूसरे से. हम में इतना ज्यादा फर्क है कि मिलना नामुमकिन है. हमारी दुनिया, हमारे सपने, ह...
पोस्ट लेवल : "हिंदी"

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जनकवि स्व.कोदूराम “दलित”गरीबी ! तू न यहाँ से जाएक बात मेरी सुन ,पगलीबैठ यहाँ पर आ,गरीबी तू न यहाँ से जा.....चली जायेगी तू यदि तो दीनों के दिन फिर जायेंगेमजदूर-किसान सुखी बनकर गुलछर्रे खूब उड़ायेंगेफिर कौन करेगा पूँजीपतियों ,की इतनी परवाहगरीबी तू न यहाँ से जा.....ब...

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इन्टरनेट एक महासागर है. प्रशांत महासागर से भी ज्यादा गहरा सागर. इसका विस्तार हमारी धरती से भी आगे तक चला गया है (ब्रह्मांड का कौनसा कोना या कोई दूर दराज की आकाशगंगा सब ही तो मौजूद है सिर्फ एक क्लिक पर). इस सागर की गहराई ऐसी है कि संसार के सारे सागरों का पा...

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यहाँ से वहाँ तक...ज़िन्दगी के इस छोर से उस अनंत तक जाने वाले दूसरे छोर तक एक नए रास्ते, नई दिशा और नए सपने की तलाश है..ज़िन्दगी के इस किनारे से उस दूसरी तरफ के किनारे तक, जहाँ मेरी नज़रों का विस्तार नहीं पहुँच सकता ..उस किनारे के रंग-ढंग, आकार और रूप...

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युधवीर सिंह लाम्बा भारतीय का कहना कि-हिंदी अति सरल और मीठी भाषा हैं। हिंदी भारत में सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा है। तभी तो देश के बाहर भी हिंदी ने अपना स्थान बना सकने में सफलता हासिल किया है। फ़िजी, नेपाल, मोरिशोस, गयाना, सूरीनाम यहाँ तक चाइना और रसिय...

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वो झील के किनारे बैठी थी. उसके पैर एडियों तक पानी में डूबे हुए थे और उसके लम्बे रेशमी बाल उसकी पीठ पर बिखरे थे और ज़मीन को छू रहे थे. उसने एक लम्बा सा फ्रौक पहन रखा था जिस पर नीले, सफ़ेद और पीले रंग ऐसे लग रहे थे जैसे किसी चित्रक...

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सपनों का एक संसार है ..या संसार में सपने है ..शायद ये सब एक दूसरे में घुल मिल गए हैं. सपनों का संसार जिसमें वो सब रंग हैं जो हम इस वास्तविक संसार में देखते हैं या देखना चाहते हैं और वो रंग जो हमें बहुत अच्छे लगते हैं ..वो सब खूबसरत रंग जो अच्छे तो बहुत...

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विगत वर्ष वर्धा में हुई दो दिवसीय हिंदी ब्लॉगिंग को केंद्र में रखकर आयोजित संगोष्ठी की यादें ताज़ा हो गयी कल्याण में दिनांक ९-१० दिसंबर को आयोजित हिंदी ब्लोगिंग संगोष्ठी में. इसे महज संयोग ही कहा जा सकता है कि वर्धा संगोष्ठी के संयोजक सिद्दार्थ शंकर त्रिपाठी जी बाल...

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10 दिसंबर को यहां मुंबई के एक उपनगर कल्याण में एक कालेज में हिंदी ब्लॉगिंग पर एक सेमिनार में भाग लेने का मौका मिला। इसमें कई ब्लॉर आए थे। अकादमिक जगत के लागों के बीच यह चर्चा इस दृष्टि से अच्छी थी कि अगर हिंदी विभाग ब्लागिंग में रुचि लेने लग जाएं तो हिंदी ब्ल...

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यहाँ हर कोई खफा है, नाराज़ है... कोई खुद से खफा है, कोई दूसरों से खफा है, कोई ज़िन्दगी से खफा है, कोई अपने हालात से ही खफा है. मतलब सबके पास अपनी अपनी वजहें हैं और उनकी तफसीलें है खफा होने की. मैं भी खफा हूँ , खुद से और उन सब चीज़ों से जिसका अभी मैंन...