काश कि एक बोहेमियन जैसी ज़िन्दगी होती। ये ख्याल अचानक आया कि काश ऐसा बंजारों जैसा जीवन होता, एक अनवरत यात्रा, जिसका कोई ठौर ठिकाना, ठहराव, कोई मकान या निशान नहीं होता। सिर्फ ज़रूरत भर का सामान और साथ चल सके जितने ही रिश्ते … जब तक चलते रहे तब तक...
पोस्ट लेवल : "Essays"

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Diwali is not just a festival, but, it is more like a phenomenon; An event that takes place once in a year and for those Five Days of Festival, we start preparations around a month ago or sometimes 2-3 months ago. It is the only time of the year when people serious...

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तो इस बार का indispire टॉपिक है, आपकी पसंद की टॉप टेन किताबें बताइये। अब पढ़ा तो बहुत है, स्कूल कॉलेज और फिर नौकरी करते हुए पब्लिक लाइब्रेरी तक … जो हाथ लगा वो सब पढ़ डाला। पर ऐसा टॉप टेन जैसा कभी कुछ सोचा नहीं। तो चलिए आज सोचते हैं,...

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नरम हरी घास पर रखा हुआ हर कदम, एक ठंडी लहर उसके शरीर के अंदर भेज रहा था. ऐसा लगता था कि ओस की नमी उसके पैरों से होते हुए थके हुए शरीर के हर हिस्से तक पहुँच रही थी, तेज़ धूप से जले हुए मन प्राण को फिर से ऊर्जा मिल रही थी."ये सुब...

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CarConnect.in, ये नाम मैंने इंडीब्लॉगर पर देखा और सोचा कि क्यों ना इस कांटेस्ट में पार्टिसिपेट किया जाए, आखिरकार अब मुझे भी कार ड्राइविंग का और स्पीड का चस्का लग चुका है. जब बात हो रोडट्रिप्स की, फैमिली के स्टेटस की और कम्फर्ट की, तब ...

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इस बार फिर से उसी पुराने मुद्दे पर लिखना का मन हुआ. अब आप इसे बात को बार बार दोहराना कह लें, बेकार की बकवास कह लीजिये या एक फ़्रस्टेड दिमाग का कचरा … जो मन में आये सोचिये, मैं परवाह नहीं करती। तो मुद्दा वही है "एक ब्लॉगर की दुःख भरी कथा". लेकिन इस बार गुस्सा इ...

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परियों की कहानियाँ हम सबने अपने बचपन में ज़रूर पढ़ी होंगी। राजा रानी, राजकुमारियाँ और उनके साथ साथ आम इंसान भी उन कहानियों का हिस्सा हुआ करते थे. अगर मेरी अपनी पसंद पूछिए तो मुझे बालहंस के परी कथा विशेषांक का बड़ी बेसब्री से इंतज़ार रहता था. एक मिनट, लगता है कि &...

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मेरा नाम भावना है. बहुत सीधा सादा सा नाम है, काफी पुराना और शायद आउट ऑफ़ फैशन किस्म का भी. एक लम्बे अर्से तक मेरा यही ख्याल था कि मेरा नाम इस दुनिया का सबसे बोरिंग और शायद सबसे खराब नाम है. बचपन से ही मुझे मेरा नाम बेहद नापसंद था. मुझे अपने नाम के अ...

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सड़कें आजकल मुझे एक अजब फिलॉसॉफी की तरह लगती हैं. हर रोज़ दफ्तर तक जाने के लिए मुझे दस किलोमीटर का रास्ता तय करना होता है. और तब थोड़ी थोड़ी देर में मुझे सड़क के कई रंग रूप और नक़्शे दिखाई देने लगते हैं. जाने क्या क्या विचार सूझने लगते हैं. सड़कें एक फैले...

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My cell phone started singing in a loud voice, when I was still asleep, somehow I opened left eye and tried to slap the phone without looking at the screen (who the hell is calling me on a sweet Sunday morning). I buried my face once again in the pillow, but the ca...