ब्लॉगसेतु

Bhavana Lalwani
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इन्टरनेट एक महासागर है. प्रशांत महासागर से भी ज्यादा गहरा सागर. इसका विस्तार हमारी धरती से भी आगे तक चला गया है (ब्रह्मांड का कौनसा कोना या कोई दूर दराज की आकाशगंगा सब ही तो मौजूद है सिर्फ एक क्लिक पर).  इस सागर की गहराई ऐसी है कि संसार के सारे सागरों का पा...
Bhavana Lalwani
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यहाँ से वहाँ तक...ज़िन्दगी के इस छोर से उस अनंत  तक जाने वाले दूसरे छोर तक एक नए रास्ते,  नई दिशा और नए सपने की तलाश है..ज़िन्दगी के इस किनारे से उस दूसरी तरफ के किनारे तक, जहाँ मेरी नज़रों का विस्तार नहीं पहुँच सकता ..उस किनारे के रंग-ढंग, आकार और रूप...
Bhavana Lalwani
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सपनों का एक संसार है ..या संसार में सपने है ..शायद ये सब एक दूसरे  में घुल मिल गए हैं.  सपनों का संसार जिसमें वो सब रंग हैं जो हम इस वास्तविक संसार में देखते हैं या देखना चाहते हैं और वो रंग जो हमें बहुत अच्छे लगते हैं ..वो सब खूबसरत रंग जो अच्छे तो बहुत...
Bhavana Lalwani
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यहाँ हर कोई खफा है, नाराज़ है... कोई खुद से खफा है, कोई दूसरों से खफा है, कोई ज़िन्दगी से खफा है,  कोई अपने हालात से ही खफा है. मतलब सबके पास अपनी अपनी वजहें हैं और उनकी तफसीलें है खफा होने की.  मैं भी खफा हूँ , खुद से और उन सब चीज़ों से जिसका अभी मैंन...
Bhavana Lalwani
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एक सितारा टूट कर आसमान से ज़मीन पर आ गिरा ...बहुत से तारे कई बार टूट कर गिरते  ही रहते है..क्या बड़ी बात है.  पर वो सितारा रोज़ मेरे कमरे की खिड़की से दिखता था... उसकी चमक औरों से कुछ अलग दिखती थी. और तारों से थोड़ा ज्यादा चमकीला, थोड़ा ज्यादा करीब ..य...
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Bhavana Lalwani
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खामोशियों के बंद दरवाजे जिस आँगन में खुलते हैं वहाँ समय और गति के सारे समीकरण अपना अर्थ खो बैठे हैं ..यहाँ एक ऐसा ब्लैक होल है जहां आकाश और धरती के बीच का अंतर, दूरी सब मिट गए हैं..यहाँ क्षितिज की रेखाएं दिखाई नहीं देती,  उनके होने का कोई भ्रम भी नहीं होत...
Bhavana Lalwani
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आज George Hegel का एक quote पढ़ा अखबार में, जो बहुत तर्कपूर्ण बात कहता है .."असल त्रासदी सही और गलत के बीच टकराव या मतभेद होना नहीं,  असल त्रासदी दो सही के बीच टकराव का होना है.."सबकुछ सही है, कोई चीज़, कोई शख्स अपनी जगह  गलत नहीं है ...लेकिन फिर भी कुछ...
 पोस्ट लेवल : Essays हिंदी निबंध Hindi Essays
Bhavana Lalwani
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कहानी के किरदार मर जाते हैं पर कहानी जिंदा  रहती है.. कहानी में कोई नाम, कोई किरदार जिसका रंग, रूप, आकार हम अपनी पसंद , अपनी कल्पना से गढ़ लेते हैं, जिनका  जीना, मरना, सोचना, समझना हमको अपना सा, अपने करीब सा लगने लगता है. कहानी में  किरदार मरते&nb...
Bhavana Lalwani
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मैं ज़िन्दगी का  एक अधूरा ख्वाब हूँ जिसे उसने अपने सफ़र के सबसे सुहाने और बेपरवाह दौर में देखा... मैं उसकी रात के आखिरी पहर की गहरी बेफिक्र मीठी  नींद का हिस्सा हूँ, उसकी सुबह की प्रभात बेला की अलसाई, अधमुंदी - अधखुली आँखों की धुंधली सी चमक ... वो ख्वा...
Bhavana Lalwani
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मेरा सपना भी तुम और सच भी तुम..खुली आँखों के चमकते जुगनू  भी तुम और बंद आँखों की पलकों का सुकून भी तुम ...जागती  हुई  आँखों  के आगे का नज़ारा भी तुम और बंद आँखों का भ्रम भी तुम.   क्या सच , क्या सपना ..सब कुछ सिमट कर एक ही रंग,  एक ही...