ब्लॉगसेतु

Bhavana Lalwani
0
 भारतीय सड़कें कितना बड़ा दिल रखती हैं।  कभी लगता है कि सड़कें हैं या कोई इमामबाड़ा .... फल सब्ज़ी के ठेले, चाट वाले, घास बेचने वाले, फ़ास्ट फ़ूड वाले और भी पता नहीं, क्या क्या बेचने वाले के ठेले या स्ट्रीट काउंटर सड़क किनारे जगह बनाये एक परफेक्ट फ्रेम की तरह सुश...
सौरभ शर्मा
0
कुदरत-ए-हस्तीहक़ गिरेबान की खोज मेंआज चला हूँअपने आप की खोज मेंमंज़िल क्या है मेरीक्या मेरा वज़ूद हैइस धरती में मेरा क्याकाम मौज़ूद हैकहाँ वो बाग़-ए-बहिश्तकहाँ असल दर-ए-रसूल है मंज़िल क्या है मेरीक्या मेरा वज़ूद हैआज चला हूँसब दरकिनार करबंद कर उधेड़ बुनबस अप...
Bhavana Lalwani
0
सड़कें  आजकल मुझे एक अजब फिलॉसॉफी की तरह लगती हैं. हर रोज़ दफ्तर तक जाने के लिए मुझे दस किलोमीटर का रास्ता तय करना होता है.  और तब थोड़ी थोड़ी देर में मुझे सड़क के कई रंग रूप और नक़्शे दिखाई देने लगते हैं. जाने क्या क्या विचार सूझने लगते हैं. सड़कें एक फैले...