लाल साड़ी में लिपटी लड़कियाँ एक दहलीज पार कर किस अरण्य में हमेशा के लिए खो जाती है कोई जानना नहीं चाहता... कथा-कहानी सुनाने बैठी सयानी औरतें अक्सर कहती हैं, घर के बियाबान से कभी कोई स्त्री जीवित नहीं लौटी... निसंगजयश्री रॉय की हिंदी कहानी सात दिन से ल...
पोस्ट लेवल : "Joyshree Roy"

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हिंदी में हिंदी पर हिंदी के साथ हिंदी वालों में हो रही उठापटक, स्वामित्व और वर्चस्व की लड़ाई के बीच कहानीकार जयश्री रॉय की कहानी 'स्वप्नदंश' ने मुझे घेर लिया. कहानी शुरू करते हुए मैं उसके नाम का अर्थ सोच रहा था, स्वप्न और दंश यानि स्वप्न में होने वाला दंश, जी कि है...

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...कभी-कभी होश में रहना कितना कठिन लगता है! जी चाहता है हमेशा के लिए नहीं तो कुछ देर के लिए मर जाय! मोर्ग के ठंडे ड्राअर में कोई रख दे कफन में लपेट कर। भट्टी-से सुलगते माथे को जरा ठंडक मिले, सांस ना लेनी पड़े कुछ दिन... डिप्रेशन, इस शब्द से इतना भय है कि इसे ब...

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प्यार, अभिलाषा, जुनून, ज़मीन, रोमांच, प्रकृति जयश्री रॉय की कहानी 'इक्क ट्का तेरी चाकरी वे माहिया...' इन सब को जोड़ती-तोड़ती और मरोड़ती कहानी है...लेकिन बड़ी बात यह है कि ये सब दर्द के उस साए में होता है जो हमारी परछाई का हिस्सा है. और कहानी की गति अपने युवा कथाकार की...