पोस्ट लेवल : "Podcast"

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एक-एक रु.जोड़कर बच्चों की फीस जमा कर रही सीमा से बातचीत

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आज चलिए मेरे साथ हिमांशु कुमार पाण्डेय जी के ब्लॉग सच्चा शरणम् पर , सुनिए उनकी कविता -बादल तुम आना -

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वह एक खाली-सी ढलती दोपहर थी। दिमाग बेचैन होने से बिलकुल बचा हुआ।किताबें लगीं जैसे बिखरी हुई हों जैसे. कोई उन्हें छूने वाला नहीं था. कभी ऐसा भी होता, हम अकेले रह जाते हैं।किताबों के साथ कैसा अकेलापन. उनकी सीलन भरी गंध मेरी नाकों के दोनों छेदों से गुज़रती हुई पता नहीं...

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कभी-कभी हम भी क्या सोचने लग जाते हैं। कैसे अजीब से दिन। रात। शामें। हम सूरज के डूबने के साथ डूबते नहीं। चाँद के साथ खिल उठते हैं। काश! यह दुनिया सिर्फ़ दो लोगों की होती। एक तुम। एक मैं। दोनों इसे अपने हाथों से बुनते, रोज़ कुछ-न-कुछ कल के लिए छोड़ दिया करते। कि कल मुड़...

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नारी तुम केवल श्रद्धा हो, विश्वास रजत नग पग तल में।पीयूष स्रोत सी बहा करो, जीवन के सुंदर समतल में।।पॉडकास्ट में शामिल गीतजूही की कली मेरी लाडली - दिल एक मंदिरओ माँ - दादी माँनारी हूँ कमज़ोर नहीं - आखिर क्यू नारी जीवन मेहंदी का बूटा - मेहंदीमैं नारी...

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होली पर सुनिये रंग-गुलाल, पिचकारी के गीत सीजीस्वर के इस पॉडकास्ट पर ...

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होली पर सुनिये रंग-गुलाल, पिचकारी के गीत सीजीस्वर के इस पॉडकास्ट पर &...

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राग रंग तरंग, होली की उमंगराग आधारित होली के गीतों पर आधारित पॉडकास्ट नेचर का हर रंग आप पर बरसे हर कोई आपसे होली खेलने को तरसे रंग दे आपको सब मिलकर इतना कि वह रंग उतरने को तरसे.... &n...

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साल ख़त्म होते-होते फ़िर लगने लगा इस नाम के साथ बस यहीं तक। यह मेरे हारे हुए दिनों का नाम है। जैसे बिन बताए एक दिन अचानक इसे शुरू किया था, आज अचानक बंद कर रहा हूँ। इस भाववाचक संज्ञा से निकली ध्वनियाँ मेरे व्यक्तित्व पर इस कदर छा गयी हैं, जिनसे अब निकलना चाहता हूँ। कै...