ब्लॉगसेतु

Pratibha Kushwaha
0
महिलाओं के दम पर दिल्ली में सरकार बनाने वाली आम आदमी पार्टी ने उस समय तमाम महिला वोटरों का निराश कर दिया, जब नवगठित कैबिनेट में एक भी महिला को जगह नहीं दी। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने अपने तीसरे कार्यकाल में अपनी पुरानी कैबिनेट को दोहरा दिया। इसे लेकर आम लोगों म...
अविनाश वाचस्पति
0
आशुतोष का ‘आप का तिलिस्म और खतरे की घंटी’ पढने के बाद कुछ लिखने का मन हुआ, जिस तरह से उन्होंने भाजपा, कांग्रेस और आप का राजनैतिक आकलन किया वो वास्तव में लोकसभा चुनाव में एक अलग गणित बना सकता है, मोदी के सपने तोड़ सकता है, यूपीए ३ और राहुल के घर को उजाड़ सकता है और हो...
अविनाश वाचस्पति
0
यह क्या हुआ कि अरविंद केजरीवाल के चक्कर में काग्रेसियों से ज़्यादा भाजपाइयों के चेहरे कांतिहीन हो चले हैं। अभी तक के आदोलन या राजनीती के पदार्पण के पूरे समय में सबसे ज्यादा परेशान कांग्रेस ही हुआ है, जन्लोकपल से छिपना हो या अन्ना से डरना हो हमेशा कांग्रेस और कांग्रे...
अविनाश वाचस्पति
0
दिल्ली विधान सभा ने एक अद्भुत परिदृश्य का वर्तमान और भविष्य देखा . ऐसे अवसर तो अनेक आये होंगे उसकी किस्मत में , लेकिन उसके आँगन में कहूं या उसकी गोद में , कोई सपूत ऐसा नहीं दिखा था जो उसके आसुओं को अपनी कमीज से पोंछने की कोशिश करे . सब टिश्यु पेपर खोजते हुए जिंदगी...
अविनाश वाचस्पति
0
आज से ढाई साल पहले एक ऐसे आन्दोलन की शुरुआत हुयी थी जिसमे पहले एक आदमी से बेडा उठाया था, एक से दस हुए, दस से सौ हुए, सौ से हजार और हजार से लाख ! कारण एक मुद्दा था जिसने समाज को ग्रसित कर रखा था, जनता एक बदलाव चाहती थी, राजनैतिक और सामाजिक बदलाव ! समस्याओ का समाधान...
अविनाश वाचस्पति
0
आजादी की ६७ पूरे हो गए है, देश लोकतंत्र घोषित है! लेकिन क्या सच में एक आम नागरिक स्वतंत्र है ? खुश है ? क्या वो अपने ४-५ साल के बच्चे को ईमानदारी से बोल सकता है की “बेटा तुम एक इमानदार देश में हो”? क्या वो खुद से ईमानदारी के साथ बोल सकता है की वो इमानदार देश का नाग...
अविनाश वाचस्पति
0
एक स्थिति होती है जिसमे लोग अपने आपको रखते है और एक परिस्थिति होती है जिसमे कोई कैसे भी रह सकता है लेकिन दोनों दशाओ में एक छोटे से छोटे आम आदमी के पास ‘हिसाब’ नाम की चीज होती है! एक बच्चा एक रुपये का और एक कंपनी हजार करोड़ रुपये का हिसाब रखती है, एक चाय वाला “चाय के...
अविनाश वाचस्पति
0
यद्यपि मै किसी आई आई टी से नहीं हूँ लेकिन फिर भी वहां था ! मेरे मित्रो को मेरी बातो से ये लगता है की मै भाजपा सामर्थी हूँ लेकिन फिर भी मै वहां था ! लेखनी की दुनियाँ में होने के बावजूद मेरा पत्रकारों से कोई ज्यादा सम्बन्ध नहीं है फिर भी मै वहां था ! कुछ तो कारण था ज...
 पोस्ट लेवल : Ravish Kumal कस्‍बा qasba Arvind Kejariwal