ब्लॉगसेतु

राजीव तनेजा
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दोस्तों!…जैसा कि आप जानते हैं कि आगामी 30 अप्रैल,2011 को दिल्ली के हिन्दी भवन में एक कार्यक्रम होने जा रहा है जिसमें हिन्दी ब्लोगिंग के अब तक के कार्यकाल पर श्री रवीन्द्र प्रभात जी द्वारा लिखी गई  “हिन्दी ब्लोगिंग का इतिहास" नामक पुस्तक का विमोचन किया ज...
राजीव तनेजा
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  "ओफ्फो!...पता नहीं कब अकल आएगी तुम्हें?…चलते वक्त देख तो लिया करो कम से कम कि पैर कहाँ पड़ रहे हैँ और नज़रें कहाँ घूम रही हैँ" बीवी चिल्लाई "क्यों?...क्या हुआ?"... "कुछ तो शर्म किया करो...तुम्हारी बच्ची की उम्र की है"... &quo...
राजीव तनेजा
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हाँ!…मैंने भी ‘बलात्कार' किया…किया है उसका …जो जगत जननी है …जीवन दायनी है…लाखों-करोड़ों की संगिनी है  … खुद मेरी भी  अपनी है … मैं ताकता हूँ हर उस ऊंचाई की तरफ…हर उस उपलब्धि की तरफ …जो मुझे खींच ले जाए लक्ष्मी के…कुबेर के द्वार…पर इसी सनक में भूल जाता हूँ...
राजीव तनेजा
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आदरणीय एवं माननीय  रूपचंद शास्त्री जी ,नमस्कार सबसे पहले तो मैं तहेदिल से आपका शुक्रगुजार हूँ और जीवनपर्यंत रहूँगा कि आपने मुझ जैसे अदना से ब्लॉगर द्वारा… आपके ब्लॉग पर की गई कुछ निरर्थक (आपके हिसाब से) एवं तीखी टिप्प...
राजीव तनेजा
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***राजीव तनेजा***   मैँ हूँ बाल ब्रह्मचारी... कन्या हो या हो कुंवारी ब्याहता हो,,, या हो परित्यक्ता नारी नहीं परहेज़ मुझे किसी से सभी मुझको प्रिय सभी मुझको प्यारी हलकी हो  या हो भारी चौरसी हो  या हो ऑरी मि...
राजीव तनेजा
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**राजीव तनेजा*** “ओह्हो…शर्मा आप?..आज ये सूरज अचानक पश्चिम से कैसे निकल पड़ा?…कहिए सब खैरियत तो है?”…“जी…बिलकुल”….“तो फिर आज अचानक…यहाँ कैसे?”…“कैसे क्या?…ये आपके सामने वाले पेट्रोल पम्प से स्कूटर में पेट्रोल भरवा रहा था कि अचानक ख्याल आया कि यहीं सामने वाली बिल्डि...
राजीव तनेजा
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अपनी ब्लोगिंग के शुरूआती दिनों में एक ब्लॉग गीत लिखने की कोशिश की थी…मामूली फेर-बदल के बाद उसे आपके सामने पुन: पेश कर रहा हूँ… आओ खेलें हम ब्लॉगर-व्लागर ***राजीव तनेजा*** आओ खेलें हम ब्लॉगर-व्लागर...  आओ खेलें हम ब्लॉगर-व्लागर... सम-समायिक पे...
राजीव तनेजा
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हँसते रहो के फ्रंट डैस्क को अभी-अभी विश्वसनीय सूत्रों के जरिए अपुष्ट खबर मिली है कि देश-विदेश के जाने-माने हिंदी के ब्लॉगर कुछ दिन पहले मुंबई में इकठ्ठा हुए थे| क्या ये एक सोची-समझी साजिश के तहत एक ही मंच पर विराजमान थे?… या फिर इसे महज़ एक संयोग समझा जाए?...
राजीव तनेजा
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हे प्रभु... ..  मुझे वर दे..मुझे वर दे...मुझे वर दे विनति तुझसे प्रभु है बस इतनी नहीं पसन्द मुझे दिखावा तू मुझे शील संयत संतुलित व्यवहार दे   नहीं चाहिए ‘जैम’ ‘बर्गर’ औ ‘पिज़्ज़ा’ मुझे तू मुझे पानीपत का ‘पचरंगा’ अचार दे नहीं पसंद सिक्कों की...
राजीव तनेजा
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