आज की सुबह ऐसे ही जब निकल पड़े थे ड्राइव पर - दिसम्बर की एक सुबह आज महीनो बाद ब्लॉग पर वापस आना हुआ है. आखिरी पोस्ट इस ब्लॉग पर मार्च की थी, और तब से लेकर अब तक इस ब्लॉग को लगभग भूल चुका था मैं. ये लॉकडाउन और कोरोना ने ऐसा कहर बरपा रखा है सब की ज़िन्दगी मे...
पोस्ट लेवल : "diaries"

0
Gujuru Garhi Templeगुजुडू गढ़ी गढ़वाल के 52 गढ़ों में से एक है, यह ऐतिहासिक होने के साथ-साथ घूमने के लिए बहुत अच्छी जगह भी है। जब आप चोटी पर पहुंचते हैं तो आपको कुमाऊं और गढ़वाल का आश्चर्यजनक दृश्य दिखायी पड़ता है लेकिन जो चीज इस जगह को विशेष बनाती है वह है यहां की ग...

0
Image: Team BHPपिछली पोस्ट में आपने पढ़ा कि कैसे मुझे ज़माने बाद साइकिल चलाने को मिली. जिनके वजह से साइकिल चलाने को मिली, उनके साथ बड़े देर तक साइकिल पर चर्चा होती रही. कुछ पुरानी बातें याद आयीं, तो सोचा क्यों न उन बातों को यहाँ सहेज लिया जाए..मेरे ख्याल से मेरे साथ उ...

0
मार्च का महिना है, गर्मी अभी पूरे रंग में आई नहीं है. थोड़ा वसंत का ही माहौल चल रहा है पटना में. ऐसे में एक दिन एक मित्र(हालाँकि उम्र में वो बहुत बड़े हैं, लेकिन रिश्ता मित्र सा ही है) के यहाँ आ गए थे. मकसद तो एक जरूरी काम था लेकिन वहाँ उनके लॉन में बहुत देर बैठना हो...

0
मार्च की शाम है..सर्दियां बहुत पहले चली गयी हैं। घरों में पंखे खुल गए हैं। हालांकि एयरकंडीशन नही चालू हुए हैं. ये ठीक भी है... मौसम को अपना लिहाज तो करना चाहिए न. होली के बाद ही गर्मी अपने पूरे शबाब पर होती है और होली अभी पंद्रह दिन दूर है, ऐसे में एयर कंडीशन...

0
देर रात तक जागे रहने के बाद नींद नहीं आती...बचपन में किसी से सुना था कि एक समय होता है जब हमें सबसे ज्यादा नींद आती है, अगर उस पहर आप सोये नहीं तो पूरी रात जागे रहेंगे. कोई परिचित थे, उन्होंने कहा था कि उन्हें एक से डेढ़ बजे सबसे ज्यादा नींद आती है लेकिन अगर वो...

0
बड़े ज़माने बाद आज का दिन सुहाना सा लगा. शायद मार्च के बाद दिन भर की पहली आउटिंग थी ये हमारी. वैसे तो पिछले कुछ दिनों से पब्लिक प्लेसेस पर लोग जामा हो रहे थे और घूम रहे थे लेकिन हम अब तक सोच रहे थे कि ऐसे घूमना फिरना अच्छा रहेगा या नहीं. लेकिन आख़िरकार छः दिसम्बर के स...

0
जन्मदिन हो या एनिवर्सरी या फिर कोई त्यौहार पर्व... इस साल कुछ भी अच्छे तरीके से सेलिब्रेट नहीं हो पाया. सब लोगों ने घर में ही मनाया हर कुछ.. न किसी गेस्ट को बुलाया गया और नाही परिवार वालों को जमा किया गया. इस साल मेरा जन्मदिन, हमारा एनिवर्सरी, माँ पापा का एनिवर्सरी...

0
वैसे तो मार्च के बाद बाहर निकलना लोगों का बंद ही हो गया है. सब की तरह हम भी घर में बंद थे. अभी कुछ दिन पहले दिल्ली आना हुआ तो यहाँ दो तीन दिन काम के सिलसिले में बाहर निकलना पड़ा था. एक दिन कनौट प्लेस भी जाना हुआ. निक्की का अचानक से मन कर गया कि कहीं बाहर कुछ खाया जा...

0
वैसे तो कोरोना हर तरफ कहर बरपा रहा है और हर कोई दहशत में है. हम भी दिल्ली आये हुए हैं और एक दिन दिल्ली में दो तीन काम थे जिसे निपटाने में हमें पूरे दिन का वक़्त लगना था. निक्की और मैंने तय किया कि हम सुबह सवेरे निकल जायेंगे और दोपहर तक सारे काम निपटा कर वापस लौट आये...