ममता कालिया की कहानी 'पीठ'बेवजह शक बेवजह कुंठाग्रस्त करता है (adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({}); ममता कालिया जी को हिंदी कथाप्रेमी यों ही नहीं हाथों-हाथ लिए रहता। उनकी यह कहानी 'पीठ' साहित्य लेखन के दर्पण-सी है। उन्होंने ...
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प्रतियोगिता का दबाव और कहानीतो परियां कहां रहेंगी— आकांक्षा पारे काशिव (adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({}); 100% पढ़ी जाने वाली और 101% तसल्ली बख्श कथा है आकांक्षा पारे काशिव की 'तो परियां कहां रहेंगी'। ज़िन्दगी की वह जंग जो एक सन्तान प्रतियोग...

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भारत पाकिस्तान विभाजन की कहानियाँ' ' लाजो ' '— ज्योति चावलाडॉक्टरों का कहना है कि उनका सोडियम बढ़ गया है। ऐसी हालत में ही मरीज़ बड़बड़ाया करते हैं। और बगल में खड़ी मैं सोच रही हूं कि इसका मतलब नानी का सोडियम तो बरसों से बढ़ा हुआ है क्योंकि वे तो बरसों से बड़बड़ा रही हैं। अ...

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...और होली ईद आपस में अभिन्न सहेलियाँ हैं।— नीरज की कविताएँ (adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({}); पाकिस्तान के नाम —गोपालदास नीरजजा चुका पतझार, ऋतुपति आ गया दिशि -दिशि मगन है,एशिया में फूटती फिर से नई कोंपल किरन है,क्या कली चटकी नुमायश...

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हंस मार्च 2020 में प्रकाशित कहानीविभाजन की कहानियाँदुखां दी कटोरी: सुखां दा छल्लारूपा सिंह बेबे की गरम और नरम छातियों के बीच दुबककर सो जाना, कूबड़ पर हाथ रखते ही छुहारों और बताशों की मिठास से मुंह गीला होना अमृतसर की गलियों का सोंधापन, बेबे की कुंडल के लश...

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स्त्री कामेच्छा की कहानी — महुआ मदन रस टपके रे — विभा रानी‘हमारी कोई इच्छा ही नहीं? बस, उनकी तृप्ति तक ही अपनी यात्रा? अधूरी यात्रा छोड़ने का दर्द तुम क्या जानो मदन बाबू?’ एक फिल्मी डायलॉग की तर्ज पर यह वाक्य महुआ के मन में आया। इस तनाव में भी महुआ मुस्करा पड...

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Raj Jat Yatra Ki Bheden मार्मिक और सच्चे लेखन से तर किरण सिंह की कहानी 'राजजात यात्रा की भेड़ें' किरण सिंह के साहित्य लेखन में वह कुछ है जो इस पाठक को हर बार झकझोर देता है. इस पाठक को लगता है कि वह अगर फिल्म निर्माण करता तो अवश्य किरण सिंह के लिखे की फिल्म...

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जिस समय की कोपल पीढ़ी मंटो को ढूंढ ढूंढ कर पढ़ रही हो उसे और परिपक्व दोनों ही को मंटो की कहानी 'एक प्रेम कहानी' आज वैलेंटाइन डे पर पढ़ाने की सोच है जो आपके लिए यह लायी है...भरत एस तिवारी

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अवध नारायण मुद्गल की बेमिसाल कहानी "और कुत्ता मान गया"मैं जब साहब के घर से फाइलें लेकर काफी रात गए अपने घर लौटने लगता हूँ, कुत्ता पंजे उठा-उठाकर हाथ मिलाता है, गुड नाइट कहता है, गले मिलता है। मैं प्रसन्नता से भर उठता हूँ। लगता है, जैसे साहब भी हाथ मिला रहे हों, गले...

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'आईना साज़' — अनामिका — उपन्यास अंशज़रूरी है कि दुनिया की सारी ज़ुबानों के शब्द मुल्कों और मज़हबों के बीच की सरहदें मिटाते हुए सूफ़ी जत्थों की तरह आपस में दुआ-सलाम करते दिखाई दें। आसमान में सात चाँद एक साथ ही मुस्कुराएँ।अनामिका दीदी, जिस-जिस क्षेत्र में हैं इंसान क...