जीवन का मर्म कानून से नहीं समझा जा सकता — मधु कांकरिया | Photo: Bharat S Tiwariजीवन का मर्म... रेखाचित्र और संस्मरण में अंतर समझाती मधु कांकरिया की लेखनी मधु कांकरिया— जीवन का मर्म कानून से नहीं समझा जा सकतावहां का सख्त कानून जो मां पर भी विश्वास नहीं क...
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रुचि भल्ला की परिकथा में प्रकाशित कहानी,आई डोन्ट हैव ए नेम समय सुबह साढ़े पाँच बजे का है । इस वक्त आसमान का रंग वंशीधर के रंग सा हो आया है। तारों की टिमटिमाती लौ धीमी पड़ती जा रही है ...मुर्गे की बाँग और कड़क। गिन कर दस बार बाँग दे चुका है चाॅर्ली का कलगीदार म...

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प्रदूषण की समस्या और समाधानदिल्ली, जानलेवा प्रदूषण | अंजान भविष्य के लिए वर्तमान बड़ी भारी कीमत चुका रहा हैभीड़ आबादी कम किए बगैर नहीं बचेगी दिल्ली— पंकज चतुर्वेदीवायु प्रदूषण करीब 25 फीसदी फेंफड़े के कैंसर की वजह है। इस खतरे पर काबू पा लेने से हर साल करीब 10 लाख लोगो...

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मार्मिक कहानियां: तरुण भटनागर — "तेरह नंबर वाली फायर ब्रिगेड"उसे यह भी नहीं पता था कि स्टीव को पल भर के लिए शराब पीने की इच्छा हुई थी। पब के सामने खड़े-खड़े उसने अपनी पॉकेट से पैसे निकालकर गिने थे। उसे काउण्टर वाले शख़्स पर गुस्सा आया जिसने उससे फ़ोन करने के चार यूरो...

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कहानी की समीक्षा कैसे करें | तंत्र और आलोचना — रोहिणी अग्रवाल‘तेरह नंबर वाली फायर ब्रिगेड‘रोहिणी अग्रवालमहर्षि दयानंद विश्वविद्यालय,रोहतक, हरियाणामेल: rohini1959@gmail.comमो० : 9416053847कौतूहल और पठनीयता - ये दो ऐसी विशिष्टताएं है जो कथा साहित्य की रीढ़ हैं, लेकिन...

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गो टू हेल का मतलब क्या होता है हिंदी में और चर्चित मीडियाकर्मी कलाप्रेमी प्रकाश के रे का बाल की खाल उधाड़ना...दुनियाभर की धार्मिक व्यवस्थाओं और पौराणिक संस्कृति में अलग-अलग तरह के नरक का वर्णन है. हिंदू धर्म में भी है, पर उसके बारे में कुछ भी कहना आजकल ख़तरनाक...

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कविता—दोहे—ग़ज़ल—ओ—नज़्म, पक्की है युवा कवि गौरव त्रिपाठी के कलम की सियाही(adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({}); (adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({}); अलमारी कभी गौर से देखा है?घर की अलमारीघर का घंटाघर होती हैये वक्त बताती है।इसमें...

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उपन्यास कैसे लिखें? ऐसे — पढ़िए: उमा शंकर चौधरी के उपन्यास 'अंधेरा कोना' के अंश ... पता नहीं, लेकिन हो सकता है कि आपने भी कभी मेरी तरह यह सोचा हो कि कोई कथाकार आपका प्रिय लेखक क्यों हो जाता है। उमा शंकर को जितनी दफ़ा पढ़ता हूँ बस यही लगता रहता है उससे अधिक सच किसी और...

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उस्ताद अमजद अली खाँ साब यह प्यार का रिश्ता है — भरत एस तिवारीआज के प्रभात खबर में प्रकाशित हुए इस लेख को अख़बार में जगह की कमी के चलते हुई कतर-ब्योंत कुछ अटपटी है, इसलिए यहां पूरा लेख आपके लिए।दुनिया में धार्मिक इमारते बहुत बन चुकी हैं, मुझे नहीं लगता कि हमें...

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हंस नवम्बर' 18 में प्रकाशित शालिगराम की नतबहू — मलय जैन,ऊंचाई ठीक-ठाक, रंग कन्हैया को मात देता और बचपन में निकली बड़ी माता से चेहरा छप्पन टिकलियों का कोलाज़, मगर वधू चाहिए एकदम भक्क गोरी, छरहरी लावण्य मयी कंचन काया । सर्वगुण संपन्न। जैसे लम्बरदार फुरसत में पड़े पड़े...