"धीरे-धीरे मै दूर हो रहा हूँ"धीरे-धीरे मै सबसे।दूर होता जा रहा हूँ।। पता नहीं मैं क्यों इतना। मजबूर होता जा रहा हूँ।। खुशियाँ दूर जाती दिख रही हैं। और दुःख बाहों में जकड़ रही हैं।। पढ़ाई में मन लगाने के बजाए। सोशलमीडिया की ओर खिचा जा रहा...
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"जीना सीख" जब मै गिरा तो। उठाने कौन आएगा।। जब चोट लगेगी। तब दिखलाने कौन जायेगा।। मै बैठा सोच रहा था। अपने दिमाग के दरवाजे ठोक रहा था।। अपने है तो,मै ये सोच रहा था। अपने सर के बालों को नोच रहा था।।कि जिसका कोई नहीं है। जिसका घर ही नहीं है।।...

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"मै अनजान हूँ"मै बहुत अनजान हूँ। अपने इस दुनियाँ से।। न समझ है मुझमें। न समझ है कदर की।। खुद से ही मैं परे हूँ। अपनी इस दुनियाँ में।। मोहलत और दुःख दोनों। खुशियों की बात करते है।। इस अनजान दुनियाँ में। जहाँ इंसानों की कदर नहीं।। वहाँ दुनियाँ का...

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"मोती सी चमक" मोती सी चमक। घासों में नजर आता है।। वह मनोरम खुशबू। सिर्फ फूलों से महक आते है।। चाँद की रोशनी में भी। सितारे नजर आते है।। वह ओश की बूंद। दरवाजे पर दस्तक दे जाते है।। मै रोज टहलता हूँ सुबह। कोहरा ही कोहरा नजर आता है।। इस ठंडे हवा के झोकों से।&nbs...

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"हाथ पाँव हमारे काँप रहे हैं"हाथ पाँव हमारे काँप रहें हैं। अब हर जगह आग तप रहें हैं।। स्वेटर टोपी मोजा पहने। अब कहीं घूमने न निकलें।। सर सर ठंडी हवा का झोका। चलते-चलते कहीं उड़ जायें न टोपा।। अपने को बचाना पड़ जाता है मुश्किल। जम गए हैं दुनियाँ&nb...

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"मै एक गुलाब हूँ" मै एक गुलाब हूँ। मेरी खूबसूरती ऐसी है।। की लोग मेरी तरफ खिचे आते हैं। मै एक गुलाब हूँ।। जो सबके दिलों पर राज करता हूँ। मेरी कलियाँ इतनी अच्छी।। कि सब तोड़ना चाहते हैं। मै एक गुलाब हूँ।। जो सबके साँसों में बसता ह...

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"आयी प्यारी-प्यारी शर्दी" आयी प्यारी-प्यारी शर्दी। धरती पहन ली है वर्दी।। देखो नाच रही है शर्दी। सब लोग पहन लिए हैं वर्दी।। बर्फ गिरने लगी टपटप। सब चले गए घर में खटपट।। सब लोग सो गए चादर के अंदर। बाहर शर्दी मचा रही गदर।। आयी प्य...

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"कोरोना आया पूरा कहर मचाया" कोरोना आया पूरा कहर मचाया। एक न दो पूरी दुनियाँ हिलाया।। न बाहर जाना न किसी से मिलना। मास्क लगा के हमेशा चलना।। बार-बार हाथ धोना। सभी को पता है आ गया कोरोना।। जगह-जगह किया जा रहा छिड़काव। जी...

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"वो दोस्तों की बातें" वो दोस्तों की बातें। मुझे याद आ रहे हैं।। क्लास में की गयी शरारत। मुझे याद आ रहे हैं।। वो पीछे क्लास में। बैठकर लंच बॉक्स खाना।। आज मुझे याद आ रहे हैं। मैम से सज़ा मिलाना।। कान पकड़े खड़े हो जाना। मुझे याद आ रहे हैं।। ...

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"छोटे से सपने थे किसी समय" छोटे से सपने थे किसी समय। नाजुक से हाथ थे जिस समय।। मुश्किलों का बवण्डर था। बस खुशियों का समुन्दर था।। रबर के चपल थे। बालो में कंघी न थी।। कोई दिशा निर्धारित न थी। जीवन का कोई आधार न था ।। बस था तो जुनून। सोच...