पोस्ट लेवल : "humour"

0
एक दौर ऐसा था जब हर पोस्ट पर स्लॉग ओवर ज़रूर देता था...ब्लॉगिंग के सिलसिले में विराम आया लेकिन स्लॉग ओवर का मक्खन हर किसी को याद रहा...साथ ही उसकी पत्नी मक्खनी, बेटा गुल्ली और दोस्त ढक्कन भी...अब भी कई जगह से शिकायत मिलती रहती हैं कि मक्खन को कहां भेज दिया...&...

0
ग़ज़लहुआ क्या है, हुआ कुछ भी नहीं हैनया क्या है, नया कुछ भी नहीं हैअदाकारी ही उनकी ज़िंदगी हैजिया क्या है, जिया कुछ भी नहीं हैरवायत चढ़के बैठी है मग़ज़ मेंपिया क्या है, पिया कुछ भी नहीं हैलिया है जन्म जबसे, ले रहे हैंदिया क्या है, दिया कुछ भी नहीं हैकि ये जो लोग हैं, ये...

0
मक्खन का बेटा गुल्ली बल्ब पर कुछ लिख रहा था...मक्खन के दोस्त ढक्कन ने पूछा....बेटा गुल्ली क्या कर रहा है?गुल्ली...बहुत ज़रूरी काम कर रहा हूं...चाचा जी....ढक्कन...क्या ज़रूरी काम बेटा...गुल्ली...बल्ब पर पापा जी का नाम लिख रहा हूं...ढक्कन...उससे क्या होगा...

0
“हद हो गयी यार ये तो बेईमानी की…मुझ…मुझ पर विश्वास नहीं है पट्ठों को….सब स्साले बेईमान….मुझको…मुझको भी अपने जैसा समझ रखा है…एक एक..एक एक पाई का हिसाब लिखा हुआ है मेरे पास…जब चाहो…जहाँ चाहो...लैजर…खाते सब चैक करवा लो…. “क्या हुआ तनेजा जी?…किस पर राशन पानी ले...

0
“हद हो गयी ये तो एकदम पागलपन की…नासमझ है स्साले सब के सब….अक्ल नहीं है किसी एक में भी…लाठी..फन फैलाए..नाग पर भांजनी है मगर पट्ठे..ऐसे कमअक्ल कि निरीह बेचारी जनता के ही एक तबके को पीटने की फिराक में हाय तौबा मचा…अधमरे हुए जा रहे हैं"… “किसकी बात कर रहे हैं तने...

0
“पागल हो गए हैं स्साले सब के सब….दिमाग घास चरने चला गया है पट्ठों का…इन्हें तो वोट दे के ही गलती कर ली मैंने…अच्छा भला झाडू वाला भाडू तरले कर रहा था दुनिया भर के लेकिन नहीं..मुझे तो अच्छे दिनों के कीड़े ने काट खाया था ना?..लो!..आ गए अच्छे दिन..अब ले लो वडेवे...

0
“ओह!…शिट..पहुँच जाना चाहिए था अब तक तो उसे….पता भी है कि मुझे फिल्म की स्टार्टिंग मिस करना बिलकुल भी पसंद नहीं”… “कहीं ट्रैफिक की वजह से तो नहीं…इस वक्त ट्रैफिक भी तो सड़कों पे बहुत होता है लेकिन अगर ऐसी ही बात थी तो घर से जल्दी निकलना चाहिए था उसे"सड़क पे भारी...

0
मक्खन अपनी कार के दो पहिये अचानक उतारने लग गया...मक्खनी ने कहा...ये क्या कर रहे हो? कार के दो पहिये क्यों उतार रहे हो?मक्खन...चुप कर ज़ाहिल औरत, रही ना पूरी अनपढ़ की अनपढ़...सामने देख बोर्ड पर क्या लिखा है...............................................................

0
***राजीव तनेजा*** फेसबुकिया नशा ऐसा नशा है कि एक बार इसकी लत लग गई तो समझो लग गयी...बंदा बावलों की तरह बार बार टपक पड़ता है इसकी साईट पर कि..."जा के देखूँ तो सही मुझे कितने लाईक और कितने कमेन्ट मिले हैं?"... "अरे!...तुझे क्या लड्डू लेने हैं इ...