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पोस्ट लेवल : "nazm"

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प्रतीक चित्र। (साभार) -अतुुुल कन्नौजवीरात भी रफ्ता रफ्ता गुजरने को है, रौशनी आसमां से उतरने को है,बैठने फिर लगीं तितलियां फूल पर, खुशबू—ए—गुल फजां में बिखरने को हैजैसे मौसम बदलने को हलचल हुई, था अजब सा नजारा कोई जादुईदेखकर दिल मचलता रहा...

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- अतुल कन्नौजवीऐ फलक थोडी जगह मुझको भी दे तारों के बीचअब मुझे अच्छा नहीं लगता जमींदारों के बीचसच कई दिन तक रखा रहता है बाजारों के बीचझूठ बिक जाता है पलभर में खरीदारों के बीचमुल्क में हरेक सूबे में, यहां तक हर जगहबेवकूफों की हुकूमत है समझदारों के बीचइक बचाती जिंदगी...

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जो खुद से ज्यादा प्यार करे, आंखों से दिल पर वार करेजिसकी हर अदा निराली हो, जो डर—डर के इज़हार करेनाजुक हथेलियों पर उसका ही नाम दिखाई देता हैहर इक राधा की आंखों में घनश्याम दिखाई देता है...जब नज़र नज़र से मिलती है धड़कन में इजाफ़ा होता हैचढ़ता है रंग इश्क का जब,...

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