ब्लॉगसेतु

Shivani Maurya
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इक सफर ऐसा भी तय होमंज़िल जिसकी तुम,तुम ही रहगुज़र होखुद से भटक कर जहाँ पहुँच खुद तक जाना हो खोकर खुद कोखुद ही को पाना होसमाज ये खोखलाखोखलें इसके कायदे हैझूठी है हर रीतझूठे इसके सब वायदे है तो उतार फेंको ढकोसलों का ये चोलानिकल पड़ो घर से ...
Shivani Maurya
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हमने तो कई दफे किया हाल-ए-दिल बयाँ है ग़र इश्क़ तम्हें भी,तो इज़हार करना चाहिएहमने तो अक्सर ही तेरी राह तकी पलके बिछाकरकिसी रोज़ तुम्हें भी हमारा इंतिज़ार करना चाहिएहम तो रंग गये है तेरी उल्फ़त में सुर्ख गुलाबीरंग-ए-मोहब्बत का तुम पर भी ख़ुमार चढ़ना चाहिएहमें तो लग गय...
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