मिथकीय चरित्रों की जब भी कभी बात आती है तो सनातन धर्म में आस्था रखने वालों के बीच भगवान श्री राम, पहली पंक्ति में प्रमुखता से खड़े दिखाई देते हैं। बदलते समय के साथ अनेक लेखकों ने इस कथा पर अपने विवेक एवं श्रद्धानुसार कलम चलाई और अपनी सोच, समझ एवं समर्थता के...
पोस्ट लेवल : "rajiv taneja"

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“हद हो गयी यार ये तो बेईमानी की…मुझ…मुझ पर विश्वास नहीं है पट्ठों को….सब स्साले बेईमान….मुझको…मुझको भी अपने जैसा समझ रखा है…एक एक..एक एक पाई का हिसाब लिखा हुआ है मेरे पास…जब चाहो…जहाँ चाहो...लैजर…खाते सब चैक करवा लो…. “क्या हुआ तनेजा जी?…किस पर राशन पानी ले...

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“हद हो गयी ये तो एकदम पागलपन की…नासमझ है स्साले सब के सब….अक्ल नहीं है किसी एक में भी…लाठी..फन फैलाए..नाग पर भांजनी है मगर पट्ठे..ऐसे कमअक्ल कि निरीह बेचारी जनता के ही एक तबके को पीटने की फिराक में हाय तौबा मचा…अधमरे हुए जा रहे हैं"… “किसकी बात कर रहे हैं तने...

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“पागल हो गए हैं स्साले सब के सब….दिमाग घास चरने चला गया है पट्ठों का…इन्हें तो वोट दे के ही गलती कर ली मैंने…अच्छा भला झाडू वाला भाडू तरले कर रहा था दुनिया भर के लेकिन नहीं..मुझे तो अच्छे दिनों के कीड़े ने काट खाया था ना?..लो!..आ गए अच्छे दिन..अब ले लो वडेवे...

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“ओह!…शिट..पहुँच जाना चाहिए था अब तक तो उसे….पता भी है कि मुझे फिल्म की स्टार्टिंग मिस करना बिलकुल भी पसंद नहीं”… “कहीं ट्रैफिक की वजह से तो नहीं…इस वक्त ट्रैफिक भी तो सड़कों पे बहुत होता है लेकिन अगर ऐसी ही बात थी तो घर से जल्दी निकलना चाहिए था उसे"सड़क पे भारी...

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***राजीव तनेजा*** फेसबुकिया नशा ऐसा नशा है कि एक बार इसकी लत लग गई तो समझो लग गयी...बंदा बावलों की तरह बार बार टपक पड़ता है इसकी साईट पर कि..."जा के देखूँ तो सही मुझे कितने लाईक और कितने कमेन्ट मिले हैं?"... "अरे!...तुझे क्या लड्डू लेने हैं इ...

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अजब ये फेसबुक और अजब इसके रिश्ते कभी कच्ची धूप से खिलते कभी घुप्प अँधेरे में सिमटते तुरत फुरत इस पल बनते झटपट उस पल बिगड़ते अजब ये फेसबुक और अजब इसके रिश्ते बेगानों संग प्रीत जताते अनजानों संग पेंच लड़ाते कभी हँसते तो कभी रोते सपने पर नित नए संजोते अ...

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मेरी कहानी छोड़ो ना...कौन पूछता है का ऑडियो वर्ज़न अर्चना चावजी की आवाज़ में