“ओहो!…शर्मा जी…आप….धन भाग हमारे जो दर्शन हुए तुम्हारे”… “जी!…तनेजा जी….धन भाग तो मेरे जो आपसे मुलाक़ात हो गयी"… “हें…हें…हें…शर्मा जी….काहे को शर्मिन्दा कर रहे हैं?….मैं भला किस खेत की मूली हूँ?….कहिये!…कैसे याद किया?”… “अब…यार…क्या बताऊँ?…मेरी तो कुछ भी...
पोस्ट लेवल : "rajivtaneja"

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“हैली!…इज इट…..9810821361? “येस्स!…स्पीकिंग"… “आप फलाना एण्ड ढीमका प्लेसमेंट एजेन्सी से बोल रहे हैं?”… “जी!…बिलकुल बोल रहे हैं"… “थैंक गाड…बड़ी ही मुश्किल से आपका नंबर लगा है…सुबह से ट्राई कर रहा हूँ"… “जी!…आजकल बड़ा सीज़न चल रहा है ना…इसलिए"...

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"उफ़्फ़!…ये कमर का दर्द तो मेरी जान ले के रहेगा"मेरा कराहते हुए डाक्टर के क्लीनिक में प्रवेश... "डाक्टर साहब...नमस्कार".... "कहिए!...तनेजा जी...कैसे हैं आप?"...."अब...यकीनन...बढ़िया तो हूँ नहीं...तभी तो आपके पास आया हूँ"...."जी!...ये तो मैं क्लीनिक...

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विचार इटली के...कहानी भारत की और ज़ुबान यू.पी की "हद हो गई यार ये तो बदइंतजामी से भरी भारी भरकम लापरवाही की...मैं क्या आप सबकी जर खरीदी हुई गुलाम हूँ? या फिर छुट्टी से लौट आई कोई नाबालिग बँधुआ मजदूर हूँ?... ... क्या...

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"ओहो!...शर्मा जी आप... लीजिये... लीजिये... मोतीचूर के लड्डू लीजिये".... "क्यों भय्यी?....किस खुशी में लड्डू बांटे जा रहे हैं?"... "खुशी तो ऐसी है शर्मा जी की आप भी सुनेंगे तो खुशी के मारे उछल पड़ेंगे"... "ओह!...तो इसका मतलब य...

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हद हो गई यार ये तो नासमझी की...पगला गए हैं सब के सब...दिमाग सैंटर में नहीं है किसी का... . बताओ!...जिसने अपनी पूरी ज़िंदगी गुज़ार दी दूसरों को टोपी पहनाने में...उसे टोपी पहनने की नसीहत दे रहे हैं?.... टोपी!...वो भी किसकी?....अण्णा की... क्यों भय्यी?....और कोई भ...

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ट्रिंग…ट्रिंग….ट्रिंग…ट्रिंग… “ह्ह….हैलो…श्श….शर्मा जी?”… “हाँ!…जी….बोल रहा हूँ…आप कौन?”… “मैं…संजू”….. “संजू?”….. “जी!….संजू…..पहचाना नहीं?…..राजीव तनेजा की वाईफ"…. “ज्ज…जी भाभी जी….कहिये…क्या हुक्म है मेरे लिए?…..सब खैरियत तो है ना?”… “अरे!…खैरियत...

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दोस्तों…जैसा कि इस कहानी के पिछले भाग में आपने पढ़ा कि कैसे ‘दुबे’ नाम का एक अनजाना शख्स मुझे चने के झाड पे चढाते हुए मेरी कहानी पर फिल्म बनाने का ऑफर देता है और कई दिलचस्प मोड़ों के बाद बदलते घटनाक्रम के दौरान वो मेरी किताब भी छपवाने का वा...

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नोट: दोस्तों….हाल ही में हिन्दी ब्लॉगजगत में घटित एक सच्ची घटना एवं कल्पना का ये समिश्रण आपको कैसा लगा?…ज़रूर बताएँ “हैलो….तनेजा जी?”… “हाँ!…जी बोल रहा हूँ…आप कौन?”… “मैं दुबे…जौनपुर से"… “जी!…दुबे जी…कहिये…क्या खिदमत कर सकता हूँ मैं आप...

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क्या?…क्या है महान आखिर आपके इस देश में?…किस गुरुर में?…किस घमण्ड में इतराए चले जा रहे हैं आप लोग?…ले-दे के एक ताजमहल या फिर कुछ पुराने टूटे-टाटे…बाबा आदम के ज़माने के खंडहरों समेत ‘हँसते रहो' का राजीव तनेजा ही तो बचा है आपके इस अजब-गज़ब देश में देखने लायक ची...