ब्लॉगसेतु

राजीव तनेजा
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अल्ले…अल्ले अंटल जी…ये क्या कल लहे हैं आप?…बांग्लादेश में हिन्दी ब्लोगरों का सम्मलेन होने जा रहा है ना कि कोई क्रिकेट मैच….जाईये!…जाईये अपने घल जा के चौक्के-छक्के मालिये…   अल्ले ओ पैलवान अंटल जी…आप क्या कल लहे हैं…आपका बी वहाँ पर कोई काम नहीं है…...
राजीव तनेजा
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लो जी हो गई तैयारियां पूरी…पासपोर्ट रेडी और वीसा तैयार….ब्लोगर बांग्लादेश की मच्छी मार्का धरती पर कूच करने को तैयार… अरे!…अरे…रुको तो सही…इतनी जल्दी काहे को करते हो मेरे यार?…पहले ज़रा किसी पण्डित…मौलवी या फिर पादरी से शुभ लग्न व मुहूर्त तो निकलवा लो…क्यों भाई लोग?…...
राजीव तनेजा
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उफ्फ़!…तौबा…ये बच्चे भी ना…आफत हैं आफत….जैसे ही पता चला इनको कि हिन्दी ब्लोगरों का महा सम्मलेन होने जा रहा है बांग्लादेश में तो पड़ गए तुरंत मेरे पीछे कि “हम भी चलेंगे…हम भी चलेंगे” …. लाख समझाने की कोशिश की कि… “भईय्या मेरे…वहाँ पर हिन्दी ब्लोगिंग का परचम फहरान...
राजीव तनेजा
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पति:डार्लिंग…फटाफट तैयार हो जाओ…फिल्म की टिकट लाया हूँ… पत्नी(खुश होकर):अरे!…वाह…कौन सी फिल्म है? पति:सात खून माफ पत्नी(मुँह बनाते हुए):दिमाग घास चरने चला गया है क्या तुम्हारा?…..मुझे नहीं देखनी ये बकवास फिल्म पति:अरे!…तुम्हें नहीं पता…बहुत बढ़िया फिल्म है...
राजीव तनेजा
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ये क्या?…गाँव अभी बसा नहीं कि….जगह-जगह से फोन आने भी शुरू हो गए… “अरे!…अरे…क्या करते हो?…पहले सम्मलेन को तो ठीकठाक से हो जाने दो…उसके बाद करते रहना आराम से नुक्ते की चिंदी-चिंदी लेकिन नहीं…बिना टोके चैन कहाँ पड़ता है हम हिंदुस्तानियों को?”… “भईय्या!…ये कमी रह गई तो...
राजीव तनेजा
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     Get this widget |     Track details  |         eSnips Social DNA    खुशखबरी…खुशखबरी…खुशखबरी….हिन्दी के हित में जुड़े हर खास औ आम और सर्व साधारण को सूचित किया जाता है कि आग...
राजीव तनेजा
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  "उफ!...क्या किस्मत है मेरी?….स्साला...जो कोई भी आता है...बिना जाँचे-परखे ही सीधा...ठोकता है...बजाता है और अपने रस्ते  चल देता है"... "क्या हुआ तनेजा जी?"... "अब क्या बताऊँ जायसवाल जी....जब दिन बुरे चल रहे हों तो ऊँट पे बैठने...
राजीव तनेजा
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    “सजन रे…बूट मत खोलो…अभी बाज़ार जाना है… ना दालें हैं ..ना सब्जी है…अभी तो राशन लाना है"… अरे!…ये क्या?….मैं तो असली गीत गाने के बजाय उसकी पैरोडी गाने लगा?…गा-गा मस्ताने लगा….असली गाना तो शायद…कुछ इस तरह से था ना?… “सजन रे…झूठ मत बोलो…खुद...
राजीव तनेजा
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    "ओफ्फो!…कुछ याद भी रहता है इसे?....आज…इस वैलैंटाईन के दिन को तो बक्श देना था कम से कम लेकिन नहीं...’बरसों से पाल-पोस कर परिपक्व की हुई बुरी आदत को भला एक दिन के लिए भी क्यों त्यागा जाए?’....यही सोचा होगा ना शायद उसने?"... &quot...
राजीव तनेजा
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“ओ!…तुस्सी ते छा गए गुरु…साड्डे दिल नूँ भा गए गुरु…पुच्च…पुच्च…पुच्च"शर्मा जी ने लपक कर एक साथ तीन लार भरे चुम्बन मेरे बाएँ गाल पे जड़ दिए… “हटिये!…हटिये…दूर हटिये..कोई देख लेगा”मैं हडबडा कर बौखलाते हुए  पीछे हट कर बोला…. “ओए!…देख लेगा तो फिर देखता रहे…म...