सुबह सुबह संदीप का फोन आया. कल रात उसके पिता जी को दिल का दौरा पड़ा है. अभी हालात नियंत्रण में है और दोपहर १२.३० बजे उन्हें बम्बई ले जा रहे हैं. वैसे तो सब इन्तजाम हो गया है मगर यदि २० हजार अलग से खाली हों तो ले आना. क्या पता कितने की जरुरत पड़ जाये? निश्चिंतता...
पोस्ट लेवल : "vyangya"

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आज फिर लिखने के लिए एक विषय की तलाश थी और विषय था कि मिलता ही न था, तब विचार आया कि इसी तलाश पर कुछ लिखा जाये. वैसे भी अगर आपको लिखने का शौक हो जाये तो दिमाग हर वक्त खोजता रहता है-कि अब किस विषय पर लिखा जाये? उठते-बैठेते, सोते जागते, खाते-पीते हर समय बस यही त...

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डेश बोर्ड, रिपोर्ट कार्ड, पॉवर पाईन्ट डेक, स्कोर कार्ड की तरह ही न जाने कितने नाम हैं, जो कारपोरेट वर्ल्ड से निकल कर पॉवरफुल सरकारी दुनिया में राजनिति चमकाने के लिए आ गये. इनको बनाना, इनको दिखाना, इनके बारे में बताना ही अपने आप में इतना भव्य हो गया कि जिन काम...

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अस्पतालों में ऑक्सीजन की भीषण कमी हो गई। हाहाकार मचा। जिसको जो समझ में आ रहा था वो उस पर तोहमत लगा रहा था। दोषारोपण हेतु लोगों को खोजा जा रहा था। कई दशकों पहले परलोक सिधार चुके लोग भी चपेट में आ रहे थे। जानवरों के डॉक्टर तक व्हाटसएप पर फेफड़ों में ऑक्सीजन की क...

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बहुत दिनों से परेशान था कि आखिर अपना नया उपन्यास किस विषय पर लिखूँ और उसको कौन सा फड़फड़ाता हुआ शीर्षक दूँ. उपन्यास लिखने वाले दो तरह के होते हैं, एक तो वो जो विषय का चुनाव कर के पूरा उपन्यास लिख मारते हैं और फिर उसे शीर्षक देते हैं और दूसरे वो जो पहले शीर्षक च...

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प्रकृति प्रद्दत मौसमों से बचने के उपाय खोज लिये गये हैं. सर्दी में स्वेटर, कंबल, अलाव, हीटर तो गर्मी में पंखा, कूलर ,एसी, पहाड़ों की सैर. वहीं बरसात में रेन कोट और छतरी. सब सक्षमताओं का कमाल है कि आप कितना बच पाते हैं और मात्र बचना ही नहीं, सक्षमतायें तो इन मौ...

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तिवारी जी का कहना है कि आजकल वो फैशनेबल हो गए हैं। अचरज बस इस बात का है कि तिवारी जो पहले भी इसी लिबास में रहते थे और आज भी, चलते भी उसी साइकिल पर हैं पिछले कई दशकों से, फिर फैशनबेल होने से क्या फरक पड़ा? जिज्ञासुओं का पाचन तंत्र हमेशा से कमजोर माना गया है। को...

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पिछले कई दशकों में बहुत कुछ बदला मगर जो न बदला वो है नेताओं का किरदार और दूसरा बारात में बजते बैंड पर दो गाने – पहला ‘आज मेरे यार की शादी है’ और दूसरा ‘नागिन धुन’। तमाम गाने बज जायें मगर जब तक ये दो गाने न बजें, तब तक बारात मुकम्मल नहीं मानी जाती। आज घंसु की बारात...

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दिवाली आ रही है। सभी साफ सफाई और रंग रोगन में लगे हैं। तिवारी जी भी दो दिन से चौराहे पर नजर नहीं आ रहे। पता चला कि साफ सफाई में व्यस्त हैं। कुछ लोगों का व्यक्तित्व ऐसा होता है जिनके लिए कहावत बनी है कि ‘कनुआ देखे मूड पिराए, कनुआ बिना रहा न जाए’ यानि कि वो दि...

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पान की दुकान पर मुफ्त अखबार के अध्ययन से ज्ञान प्राप्त करने को अगर विश्व विद्यालय किसी संकाय की मान्यता देता तो तिवारी जी को निश्चित ही डॉक्टरेट की उपाधि से नवाजा जाता। डॉक्टरेट बिना मिले भी वह पान की दुकान पर प्रोफेसर की भूमिका का निर्वहन तो कर ही रहे थे। ज...