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पोस्ट लेवल : "zafar-gorakhpuri"

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कई बरसो से यह बात चलती आ रही है कि आदमी को दिल से सोचना चाहिए या दिमाग से | और कहा जाता है दिल तो पागल है दिल का क्या है | कई वर्षों के बाद ग़ालिब ने कहा"दिले नादां तुझे हुआ क्या हैआखिर इस दर्द की दवा क्या हैमै हू मुश्ताक और वो बेजारया इलाही ये माजरा क्या है ?"ग़ालिब...

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मजबूरी के मौसम में भी जीना पड़ता हैथोड़ा सा समझौता जानम करना पड़ता हैकभी कभी कुछ इस हद तक बढ़ जाती है लाचारीलगता है ये जीवन जैसे बोझ हो कोई भारीदिल कहता है रोएँ लेकिन हँसना पड़ता हैकभी कभी इतनी धुंधली हो जाती है तस्वीरेंपता नहीं चलता कदमों में कितनी हैं ज़ंजीरेंपाँव बंधे...

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खुदा ने दिल बनाकर क्या अनोखी शय बनाई हैज़रा सा दिल है, इस दिल में मगर सारी खुदाई हैये दिल अल्लाह का घर है, ये दिल भगवान का घर हैबदी दिल में समां जाये तो दिल शैतान का घर हैइसी दिल में भलाई है. इसी दिल में बुराई हैये दिल फुल है, चट्टान है, मौज-ए-समुन्दर हैये नरम पानी...