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अंशुमान चक्रपाणि

 बिहार, भारत   पुरुष

भटकन और घुमक्कड़ी ने मुझे मुसाफिर बना दिया | कुछ दिन अगर बिना किसी सफर के बीतना पड़े मन विचिलित-सा हो जाता है, दिमागी कीड़ा कुलबुलाने लगता | ये बात अलग है कि कई प्लान छुट्टी नहीं मिल पाने के कारण फलीभूत नहीं हो पाते और ख्याली पुलाव बनकर दम तोड़ देते हैं | अपने सफरनामा को डायरी के रूप में कलमबंद करने और संस्मरणों को संजोने के लिये "यायावर एक ट्रेवलर" https://YayavarEkTraveler.Com मेरा छोटा सा प्रयास है |