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महेन्द्र श्रीवास्तव

 दिल्ली, भारत   पुरुष

सच तो ये है कि लोगों के बारे में लिखते-लिखते खुद को भूल गया हूं। वैसे मैं पत्रकार हूं। करीब 15 साल तक हिंदी के तमाम राष्ट्रीय समाचार पत्रों में काम करने करने के बाद अब दिल्ली पहुंच चुका हूं।