ब्लॉगसेतु

दीपक कुमार  भानरे
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इमेज गूगल साभार #मासूम #अदाओं से, यूं ही दिल चुराने वाले , कभी करते  बैचेन हो , तो कभी बनते #उम्मीदों के उजाले ।   चाहत किसे नहीं  , बन जाये अपना कोई , मिल जाये सुकून दिलों का और नींद रातों की चुरा ले ।   जतन पर जतन करते हैं , हर राह उनक...
दीपक कुमार  भानरे
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इमेज गूगल साभार#मुश्किलें भी नहीं है कम,वैसे भी इस जमाने में ।पीछे नहीं रहते है फिर भी,कुछ अलग #अनुचित #आजमाने में ।नदी नाले उफान पर ,पानी भरा कई स्थान पर ,कहीं खतरे के निशान पर ,कहीं बन आई जान पर ,फिर भी उठाते जोखिम भरा कदम ,लगाकर दांव जीवन का ,सेल्फी खिंचवाने में...
दीपक कुमार  भानरे
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इमेज गूगल साभार#गर्मी के चेहरे में एक शिकन थी ,जब #बारिश ने तपन कुछ कम की ,मिट्टी की भी तासीर जरा नम थी ,और छलकी #खुशी #ईश्वर के  रहम की ।जगह नहीं बची है थमने,राह भी रोक ली अतिक्रमण ने,#बारिश का भी इस धरा में बसेरा है,जिसे ढूंढ रही है अब हर घर आंगन में ।#बारिश...
Dr. Zakir Ali Rajnish
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काफी देर तक मैं बिस्तर पर आंखें बंद किये पड़ा रहा। हालांकि सवेरा होने वाला था, पर शरीर का रोम-रोम दर्द से टूट रहा था। इसलिए मैं उठने की हिम्मत न जुटा सका और मस्त घोड़े की तरह चारपाई पर लोटता रहा।सहसा मुझे कुछ याद आया और मैंने जल्दी से अपनी जेब को टटोला। जेब भारी थी...
 पोस्ट लेवल : Zakir Ali Rajnish Science Fiction Science Fiction
अभिलाषा चौहान
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 पोस्ट लेवल : नवगीत
rahul dev
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पद्मश्री शरद जोशी व्यंग्यकार से पहले एक सहज-सरल, स्नेह-संवलित, आत्मीय व्यक्तित्व की पराकाष्ठा थे। अस्सी के दशक में उन्हे पहली बार मुंबई; तब के बम्बई के पेडर रोड स्थित सोफिया महाविद्यालय के सभागार के काव्य-मंच पर देखा और सुना। मंच कवियों का था- भवानीप्रसाद मिश्र, धर...
 पोस्ट लेवल : शरद जोशी
दीपक कुमार  भानरे
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चल रही जरूरतें हर रोज,एक नया दांव ए #जिंदगी ।निकलने लगे हैं #चादरों से,अब ये #पांव ए जिंदगी ।देखकर जिंदगी औरों की ,हसरतें अपनी किया खड़ा ,कभी झांसें में आकार बाजारों के ,कुछ और खरीदा बेवजह ,यूं बढ़कर हो गई हसरतें,बेपनाह ए जिंदगी ।....पसंद अपनी है अपना नजरिया है ,मु...
दीपक कुमार  भानरे
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इमेज गूगल साभार बहकी बहकी सी बारिश है ,हवाओं से मिल की साज़िश है ,दरवाजे खटखटाती शोर मचाती,फुहारों संग घर में घुस आती ,फर्श फिसलन भरा बनाती है ,न जाने कौन सी निभाती रंजिश है ।........बहकी बहकी सी बारिश है ,बिजली गिरा की आतिश है ,बादलों से धमाके करवाती ,सबके दि...
rahul dev
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आप साहित्यकार बनना चाहते हैं मगर कोई सम्पादक या प्रकाशक आपको घास डालने को तैयार नहीं। आप एकदम मायूस न हों, मैं आपको कुछ ऐसे पेटेन्ट नुसखे बता रहा हूं जिन्हें आज़माने से आपकी साहित्यकार बनने की मनोकामना अवश्य पूरी होगी। अगर आप समझते हैं कि साहित्यकार बनने के लिये आप...
 पोस्ट लेवल : व्यंग्य
usha kiran
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ताना बाना : आधी रोटी: शादी की कई रस्मों में से एक मनभावन रस्म है पग फेरों की।नवब्याहता बेटी शादी के बाद जब पहली बार सजी- धजी दामाद संग मायके आती है तो कुछ अलग ही ...